राजेश ज्वेल
गांधी- वाड्रा परिवार पता नहीं कौन-से स्वप्नलोक में जीता है कि उसे कांग्रेस पार्टी की दुर्गति समझ नहीं आती… जो गलती पान की दुकान या ठेला चलाने वाला बता देता है.. वही मोटी बात कांग्रेस आलाकमान के भेजे में नहीं घुसती… देश की सत्ता से 6 साल पहले ही बाहर हो चुकी कांग्रेस आने वाले कई वर्षों तक फिर उस पर काबिज होती नजर नहीं आती..तो दूसरी तरफ कुछ राज्यों की अपनी सरकारों को बचाने में भी पार्टी ढक्कन साबित हो रही है… पहले अच्छी-भली चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार धराशायी हो गई और अब राजस्थान में भी वही घटनाक्रम चल रहा है… ठोकर खाकर ठाकुर समझदार बनते है..लेकिन इन पप्पुओं का लगता है ऊपरी माला ही खाली है… युवाओं की अनदेखी करना कांग्रेस को भारी पड़ता रहा है… मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे चमकदार चेहरे की कांग्रेस ने अनदेखी की और परिणाम में 15 साल बाद मिली सत्ता गंवानी पड़ी… इसी तरह राजस्थान में सारी मेहनत सचिन पायलट ने की और ऐन वक्त पर कुर्सी तोतले गेहलोत को दे दी..जिसके परिणाम स्वरूप अब राजस्थान में बहुमत से बनी सरकार भी हाथ से जा रही है और आलाकमान बेसुध है… दरअसल एक पप्पू यानी राहुल गांधी के चक्कर में पूरी पार्टी की लुटिया डुबो दी गई है.. जिसे ना बोलना आता है और ना मुद्दों की समझ है..लेकिन चंद चाटुकार मुंगेरीलाल राहुल में ही कांग्रेस का भविष्य देखते हैं और पहले पार्टी अध्यक्ष-फिर प्रधानमंत्री बनाने का शेखचिल्ली ख्वाब पाले बैठे हैं… जबकि घाघ भाजपा से निपटने के लिए पूर्ण राजनीतिक कौशल और हथकंडे जरूरी हैं…जो पप्पू के बस का नहीं है… चिंता की बात ये भी है कि देश में विपक्ष खत्म हो रहा है… दूसरी तरफ चुनी हुई सरकारों को इस तरह धनबल और केन्द्रीय एजेंसियों से गिराने का खेल भी… यानी चुनावों का कोई मतलब ही नहीं रह गया… कोई भी जीते.. जोड़तोड़ कर हारने वाला दल सरकार पर काबिज हो सकता है… यह नई तरह की राजनीति देश सीख रहा है…हालांकि इसकी भी दोषी कांग्रेस ही है …जिसके कर्णधार तमाम चोंट खाकर भी संभलने को तैयार नहीं है.. जनता ने भले ही कांग्रेसमुक्त देश नहीं किया हो मगर पप्पू की बदौलत भाजपा जरूर कांग्रेसयुक्त होती जा रही है…!