इंदौर। कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या की श्रृंखला तोड़ने के लिए शहर में 72 घंटे का मार्शल लॉ जैसा सख्त लॉक डाउन लगाना चाहिए। उसके बाद बाजार खोलने और उसके विनियमन के लिए हिदायत के साथ सख्त कदम प्रशासन को उठाना चाहिए। हर बाजार में दूरी, मास्क, सेनेटाइजेशन आदि की जिम्मेदारी उनके संगठनों को दी जाए। प्रशासन ने इंदौर को अपनी योजना से बेहतर ढंग से बचाया है।
खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने इंदौर में बढ़ती संक्रमण की दर पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि आज ‘जीवन और निर्वाह’ जरूरी है। उपयोगी वस्तुओं के व्यापार और लक्जरी वस्तुओं के व्यापार प्रतिबंधों को एक तराजू में नहीं तोला जा सकता! इसलिए दोनों के लिए नियम और नियमन अलग-अलग होना चाहिए। शहर के नागरिकों के व्यापक हित में आपदा प्रबंधन समिति निर्णय ले। यह समय कठोरता और मृदुलता के समन्वय वाले निर्णयों की दरकार का है, ताकि आम मध्यमवर्गीय, निम्न वर्ग की जीवन यापन व अर्थोपार्जन भी चले और संक्रमण से बचाव की सख्ती भी हो।
मालू ने कहा कि कहाँ का बाजार कब और कितनी देर खोलना है, यह सिर्फ प्रशासन नहीं, बल्कि संबंधित एसोसिएशन के साथ मिल बैठकर तय किया जाए। नियमों के पालन की जिम्मेदारी एसोसिएशन निभाए। कोरोना संक्रमण का पीक समय कब आएगा, कब उसकी मारकता कम होगी ये कोई नहीं जानता। आपदा प्रबंधन समिति का ध्यान अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने और जरूरी संसाधन बढ़ाने जैसे वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और जाँच रिपोर्ट जल्द मिलने में लगे! इसकी योजना और पूर्व तैयारी की ओर देना चाहिए। ताकि, हम आसपास के जिलों के भी मरीज की आवश्यकता की पूर्ति कर सकें। समिति को स्वयंसेवी सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए! क्योंकि, लॉक डाउन कोई विकल्प नहीं, बार-बार समझाइश ही विकल्प है।
निजी अस्पतालों को लूट का अड्डा न बनने पाए, इस तरफ भी समिति ध्यान दे! साथ ही कोरोना रिपोर्ट के इंतज़ार तक कोरोना के प्रारंभिक लक्षण होने पर तुरंत भर्ती किया जाए हल्के लक्षणों वाले मरीजों को घर पर रहने का प्रतिबंध लगाया जाए।