मकर संक्रांति के त्योहार पर ‘मित्र सक्रांति महोत्सव’ के आयोजन मे उमड़ा जनसैलाब, पतंग की डोर महापौर पुष्यमित्र ने थामी 

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इंदौर। यूं तो इंदौर में हर त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस बार मकर संक्रांति पर इंदौर के पश्चिम क्षेत्र का माहौल कुछ अलग ही था, और हो भी क्यूं नहीं… क्योंकि जो अब तक नहीं हुआ वह महोत्सव इस बार क्षेत्र में आयोजित हुआ। दरअसल महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा मकर सक्रांति पर्व पर ‘मित्र संक्रान्ति महोत्सव’ का आयोजन किया गया, जिसमें ख़ास बात यह थी कि उन पारम्परिक खेलों को आयोजित किया गया जो आधुनिकता की चकाचौंध में ग़ायब हो रहे हैं। महोत्सव में शामिल होने के लिए सुबह से शाम तक जनसैलाब उमड़ता रहा।

 

सूर्य आराधना का पर्व मकर संक्रांति सूरज के उगते ही उत्साह ओर उमंग के साथ प्रारंभ हुआ।परंपरागत पतंगबाज़ी, गुल्ली-डंडा, सितोलिया, मटकीफोड़ ,चेयर रेस, रस्साखेंच, नींबू रेस जैसे अनेक खेलों का आयोजन मिल जाए तो फिर बात ही कुछ और हो जाती है। ऐसा ही कुछ मंज़र था दशहरा मैदान का, जहाँ महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नेतृत्व में ‘मित्र सक्रांति महोत्सव’ का आयोजन किया गया, जिसमें आम से लेकर ख़ास तक सभी ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। एक ओर जहां बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पतंगबाज़ी करते नज़र आए तो वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव पतंगबाज़ी के साथ कबड्डी और गिल्ली-डंडा में हाथ आज़माते हुए दिखे। बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी पारम्परिक खेलों का खूब लुत्फ़ उठाया। नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे रस्साखेंच में जोर आज़माइश करते हुए दिखे। गोपीकृष्ण नेमा, सुदर्शन गुप्ता, भरत रघुवंशी, अभिषेक बबलू शर्मा आदिवासी नृत्य पर थिरकते नजर आए। जीतू जिराती, गोलू शुक्ला और एकलव्य गौड़ भी आयोजन में शामिल हुए। आयोजन में महिला नेत्रियां भी पीछे नहीं रहीं। सभी अलग-अलग अंदाज़ में दिखाई दीं।

प्रारंभ में बटुकों द्वारा शंखनाद और मंत्र उच्चारण किया गया। जिसमें कैलाश विजयवर्गीय ने शिरकत की और महापौर के साथ आयोजन का शुभारंभ किया। महापौर ने सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दीं। जिसके बाद विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जिसमें पंजाबी, गुजराती, मराठी, राजपूत, सिंधी, बंगाली, राजस्थानी, आदिवासी समाज से जुडी़ कई मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गईं। वहीं महिलाओं ने हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम भी आयोजित किया।

ग़ौरतलब है कि पतंगबाजी का उल्लास यूं तो एक हफ्ते से है लेकिन रविवार सुबह से ही दशहरा मैदान पर बच्चे और युवा बड़ी संख्या में जुटने लगे थे। कुछ ही देर में मैदान पूरी तरह भर गया। सभी ने उत्साहपूर्वक जमकर पतंगबाजी की और पारम्परिक खेलों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। चूंकि इस बार संक्रांति दो दिनों की है इसके चलते युवाओं में पतंगबाजी को लेकर बहुत उत्साह है। वहीं क्षेत्र में हुए आयोजन से भी लोग ख़ासे उत्साहित दिखाई दिए। दरअसल महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सनातन संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने व नई पीढ़ी के बीच इन परंपराओं को बनाए रखने के उद्देश्य से पश्चिम क्षेत्र स्थित दशहरा मैदान में ‘मित्र पतंग महोत्सव’ का आयोजन किया। जिसमें पतंग महोत्सव (स्वदेशी धागे से) के साथ ही विभिन्न परम्परागत खेलों का आनंद लेते हुए लोग दिखाई दिए। इस कार्यक्रम में अन्य आकर्षक खेलों के साथ ही सेल्फी पॉइंट भी बनाया गया था। खाने-पीने के लिए निःशुल्क व्यवस्था की गई थी।