इंदौर। शहर में घरों की छत से लेकर गलियों और चौराहों पर भगवा ध्वज लहरा रहे हैं। चैत्र नवरात्रि और आगामी रामनवमी को लेकर पूरा शहर भगवामय नजर आ रहा है। पीछले कुछ सालों में लोगों में धर्म के प्रति एक लगाव बढ़ता जा रहा है। जिसे वजह से भगवा ध्वज की खरीदारी में तेजी से उछाल आया है। पीछले साल के मुकाबले इस साल दोगुना भगवा ध्वज बनवाए गए, जो कि लगभग खत्म हो गए हैं। पीछले साल 60 हजार तो इस साल 1 लाख तक ध्वज बनाए गए। जिसमें चैत्र नवरात्रि के लिए प्लेन और रामनवमी के लिए बनाए गए ध्वज पर भगवान राम और अयोध्या मंदिर की कृति बनाई गई है।
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60 साल से बना रहे ध्वज, पीछले साल 60 हजार तो इस साल 1 लाख बनाए ध्वज
शहर में ध्वज बनाने वाली कई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है। लेकिन 60 साल से ध्वज के नाम से शहर के राऊ में स्थित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट इन झंडो का निर्माण कर रही है। जानकारी देते हुए ध्वज मैन्युफैक्चरिंग के मालिक ओम गुप्ता बताते हैं कि गलियों और नवरात्रि को लेकर खम्बो पर लगाएं जाने वाला झंडा 2 बाय 3 फुट का होता है, वहीं छतों पर लगाए जाने वाला 40 बाय 60 इंच होता है। इन ध्वज की कीमत 20 रुपए से शुरू होकर 60 रुपए तक होती है। रामनवमी पर बनने वाले ध्वज 20 बाय 30, 30 बाय 45 और 40 बाय 60 के होते हैं। यह झंडे लोगों द्वारा अनेक स्थानों पर लगाए जाते हैं।
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राष्ट्रीय ध्वज से लेकर अन्य प्रकार के झंडे बनाए जाते हैं
वह बताते हैं कि ध्वज दुकान के नाम से यह पुस्तैनी दुकान है। लगभग 60 साल पहले इसकी शुरुआत दादाजी ने की थी।वह बताते हैं कि इन ध्वज को बनाने के लिए शार्टन कपड़े का थान गुजरात के सूरत से सफेद कपड़ा मंगवाया जाता हैं। इसके बाद इस पर मशीन से भगवा कलर और प्रिंटिंग का कार्य किया जाता है। एक दिन में लगभग 20 हजार झंडे मशीन से तैयार किए जाते हैं, वहीं इनका नेफा मैनुअली किया जाता है। उनके यहां पर राष्ट्रीय ध्वज से लेकर पॉलिटिकल, धार्मिक और अन्य प्रकार के ध्वज बनाए जाते हैं। पूरे देश और प्रदेश के साथ साथ शहर की 30 से 40 प्रतिशत दुकानों पर उनके यहां से माल जाता है।