Amit Shah Sedition Law, Delhi : नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की न्याय संहिता में सुधार के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक प्रस्तुत किया है। इसमें कई कानूनी बदलाव किए जाएंगे। आज भारतीय न्याय संहिता विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया है। इस कानून में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं।
आपको बता दे कि,गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय सुरक्षा संहिता बिल (CrPC) पर लोकसभा में बताया कि अंग्रेजों के बनाए 3 कानून में संसोधन किया गया है। आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 किया गया है।
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया, नए सीआरपीसी में 356 धारा होंगी जबकि पहले 511 थीं। उन्होंने कहा, गुलामी की निशानियों को समाप्त कर नया कानून लाने का तय किया है। लोगों का कानून पर से विश्वास उठ गया है, क्योंकि न्याय बहुत देर से मिलता है। अदालत की कार्यवाही का डिजिटलीकरण करेंगे। पूरा का पूरा ट्रायल अब वीडियो कॉल से करने की तैयारी है। सबूत जुटाते वक्त वीडियोग्राफी करना जरूरी होगा। देश की पूरी कानून व्यवस्था बदली जा रही है। जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी।
राजद्रोह कानून के परिप्रेक्ष्य में शाह ने बताया कि यह विधियात्रा उस समय के इतिहास और शासन को संरक्षित करने का उद्देश्य रखती है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और राजद्रोह को पूरी तरह से समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, उन्होंने यह परिप्रेक्ष्य दिखाया कि लोकतंत्र में सभी को अपने विचार व्यक्त करने का स्वतंत्रता है। इस कानून में शस्त्रागार के प्रति विरोध, हिंसक गतिविधियां, अलगाववाद आदि को भारतीय समराज्य की एकता को प्रतिबद्ध करने का एक प्रयास माना जा सकता है, और यह सब कानून के तहत पहली बार व्याख्या की जा रही है, साथ ही सम्पत्ति का अधिकार भी संरक्षित है।