इंदौर के स्कूलों में अब छात्रों को मिलेगी संगीत की शिक्षा, बनेंगे संगीत कक्ष

Abhishek singh
Published on:

इंदौर के सीएम राईज विद्यालयों में अब संगीत शिक्षा भी प्रदान की जाएगी, और इसके लिए विशेष संगीत कक्ष बनाए जाएंगे। शहर के तीन महाविद्यालयों में पहले से संगीत की शिक्षा दी जा रही है, जिसे और बेहतर और समृद्ध बनाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके तहत नए संगीत शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इस पहल में शालेय शिक्षा समिति, महाविद्यालयीन जनभागीदारी समिति, नगर निगम और संगीत से जुड़ी अन्य सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा।

यह निर्णय संभागायुक्त दीपक सिंह ने संगीत शिक्षकों के साथ हुई बैठक में लिया। उन्होंने कहा कि संगीत कक्षों के निर्माण में इंदौर विकास प्राधिकरण सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाएगा।

इंदौर के शैक्षिक संस्थानों में गायन, वादन और नृत्य की कार्यशालाएं होंगी

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सिद्धार्थ जैन ने कहा कि इंदौर शहर के सभी शैक्षिक संस्थानों में गायन, वादन और नृत्य की कार्यशालाओं का आयोजन अधिक से अधिक किया जाएगा, और इसके लिए विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी सहयोग करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में इस प्रकार के कार्यक्रमों को आयोजित करने वाली स्पिक मैके संस्था को आमंत्रित किया जाएगा।

संगीत शिक्षा में प्रभाव की कमी, विद्यार्थियों पर नहीं दिख रहा असर

गौतम काले ने कहा कि जबकि उच्च शिक्षा संस्थानों में गायन, वादन और नृत्य विधाओं का शिक्षण और प्रशिक्षण दिया जा रहा है, फिर भी उसका प्रभाव विद्यार्थियों पर उतना स्पष्ट नहीं दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि संगीत कलाकारों और शिक्षकों के बीच निरंतर संवाद होना आवश्यक है। संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि एक साधना भी है। वर्तमान समय में संगीत की शिक्षा में आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी जरूरी हो गया है।

इंदौर के कलागुरुओं का ज्ञान संगीत विद्यार्थियों के लिए हो

उस्ताद अलाउद्दीन खां कला अकादमी के पूर्व निदेशक जयंत भिसे ने कहा कि इंदौर शहर में कई अद्वितीय कलागुरु हैं, और उनकी कला और ज्ञान का लाभ विद्यालय और महाविद्यालय के संगीत विद्यार्थियों को भी मिलना चाहिए। नृत्य शिक्षिका सुचित्रा हरमलकर ने सुझाव दिया कि शासकीय शिक्षा संस्थानों में रिक्त पड़े संगतकारों के पदों को भरा जाए और अधिक से अधिक शास्त्रीय संगीत समारोहों का आयोजन किया जाए। इस बैठक में डॉ. किरणबाला सलूजा, डॉ. रचना शर्मा, रचना शर्मा, प्रिया गोखले और कपिल देव भल्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए।