अब एक्सप्रेसवे के साथ औद्योगिक क्षेत्रों का भी होगा विकास, ये जिले होंगे शामिल

Ayushi
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भारत शासन के राष्ट्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा आज मध्यप्रदेश की महत्वाकांक्षी अटल प्रोग्रेसवे परियोजना को भारत माला फेस-1 में शामिल करने की स्वीकृति जारी की है। चंबल संभाग के मिण्ड-मुरैना एवं श्योपुर जिलों से होते हुये यह पूर्णतः नया एक्सप्रेसवे मध्यप्रदेश में 404 किलो मीटर लंबाई का होगा, जो पूर्व में झांसी (उत्तर प्रदेश) से तथा पश्चिम में कोटा (राजस्थान) से जोडते हुये निर्मित किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि इस मार्ग के निर्माण से झांसी (उत्तर प्रदेश) से कोटा (राजस्थान) का एक प्रमुख नया मार्ग जुड़ेगा जो मध्यप्रदेश के 3 जिलों को लाभान्वित करेगा। इन दोनों बिन्दुओं के दूरी में भी लगभग 50 किलो मीटर की बचत होगी एवं एक्सप्रेसवे बनने से वर्तमान में लगने वाले 11 घंटे का समय 6 घंटे तक में आवागमन पूर्ण हो जायेगा।

चंबल नदी के किनारे-किनारे बनाये जाने वाले इस नये एक्सप्रेसवे में मध्यप्रदेश शासन द्वारा औद्योगिक, व्यावसायिक एवं विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में निवेश आमंत्रित करने के लिये अग्रिम तैयारी की है। इस एक्सप्रेसवे में लगने वाली समस्त भूमि राज्य शासन द्वारा अपने व्यय पर उपलब्ध कराई जा रही है। इस परियोजना की लागत लगभग 7000 करोड़ रूपये व्यय समावित है एवं इसे 7 विभिन्न पैकजों के माध्यम से बनाये जाने की तैयारी है।

लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव द्वारा भारत शासन द्वारा दिये गये स्वीकृति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये केन्द्रीय मंत्री माननीय नितिन गडकरी जी को आभार व्यक्त किया और यह आशा जताई है कि इस परियोजना की निविदायें अब अतिशीघ्र जारी की जा सकेगी। उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा इस परियोजना में लिये सतत रूचि एवं समीक्षा बैठकों को श्रेय देते हुये बताया कि पहली बार इतनी महत्वाकांक्षी एवं पूर्णतः नये सिर से बनाये जाने वाली परियोजना की परिकलाना से लेकर भारत शासन को डीपीआर निर्माण होकर स्वीकृति प्राप्त तक की जाने वाली कार्यवाही माननीय मुख्यमंत्री जी के सक्रिय मार्गदर्शन के फलस्वरूप इतने कम समय में समय हो पाई है।

प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, नीरज मण्डलोई ने बताया कि इस परियोजना का निर्माण एन. एच. ए आई द्वारा किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि अटल-प्रोग्रेसवे के लिये डीपीआर का निर्माण राज्य शासन द्वारा रिकार्ड 4 महीने में बनाकर भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया था लगभग 1500 हेक्टेयर शासकीय भूमि का हस्तांतरण भी रिकॉर्ड समय में पूर्ण कर राष्ट्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय (एन.एच.ए.आई) को कब्जा दिया जा चुका है।