अब प्रायश्चित करें भाजपा

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नितिनमोहन शर्मा

समय आ गया है। संभल जाइए। वक्त रहते प्रायश्चित शुरू कीजिए। हर उस “उमेश” के लिए जो परिश्रम और पराक्रम के बाद भी हाशिये पर है। पार्टी उसे कुछ दे ही नही रही, जो बरसो से पार्टी के लिए निष्ठा से पसीना बहा रहे है। वे ठगे से देख रहे है कि इस शहर में बीते दो ढाई दशक से वे ही चेहरे बारम्बार उपकृत हो रहे है जो सत्ता की पसन्द बने हुए है। हाशिये पर पड़े लोगो को इसमे भी रंज नही। उन्हें सदैव संगठन से उम्मीद रहा करती है। लेकिन अब तो संगठन भी सत्ता के साथ गलबहियां कर रहा है।

न केवल गलबहियां बल्कि संगठन ऐसे नेताओं को परिश्रमी ओर पात्र नेताओ ओर कार्यकर्ताओं पर थोप रहा है, जिन्हें अब भाजपा में पैराशूट लेंडिंग बोला जाने लगा है। जिस सन्गठन से न्याय की उम्मीद है, वो ही अंधा बाटे रेवणी अपने अपने को दे. की तर्ज पर जी हजूरी करने वालो को ही आगे का रहे है। जिसके कारण उमेश शर्मा जैसे लोग खाली हाथ ही इस दुनिया से रुखसत कर गए।

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आखिर कितनी बार उन्ही नेताओ को उपकृत किया जाएगा जिन्हें सत्ता और संगठन से ” पेट भर ” मिल चुका है। इस शहर में क्या विधायक, पार्षद का चुनाव लड़ने का कुछ ही नेताओ का पेटेंट हो गया है? दो दो चार चार बार के विधायक हो गए, फिर भी किसी को आगे आने ही नही देने की ये पार्टी विथ ऐ डिफरेन्स में कैसा चलन शुरू हुआ? संगठन में मंडल से लेकर नगर इकाई ओर नगर से लेकर प्रदेश इकाई तक पद लेने वालों को हसरत कम होने का नाम ही नही लेती। चुनिंदा नेताओ को ही विधायक बनना है।

पार्षद भी उन्ही को बनना है। एमआइसी भी उन्ही को चाहिए। आईडीए बोर्ड में भी उन्ही को ले लो और निगम मंडलों में भी वे ही आएंगे। ऐसा क्यो? क्या इंदौर जैसे शहर में भाजपा के पास ओर कोई नेता नही जो तीन दशक से वे ही चेहरे सत्ता की मलाई चाटने में जुबान लटकाए घूम रहे है। चुनाव हार गए। पार्टी का मुंह काला करवा दिया। सरकार चली गई। फिर भी दौड़ रहे है कि विधायक का फिर टिकट मिल जाये। दूसरा कैसे आ जाये?

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अपने अपने “गिरोह” बना लिए। कोई वी डी का खास है तो कोई हितानंद का “नंदन” है। कोई मुरलीधर राव की मुरली बना घूम रहा है तो कोई नरेंद्र तोमर को तौक तौक कर दुसरो का हक खा रहे है। कोई सीएम का ऐसा खास हो गया कि कोई उसका बाल बांका नही कर सकता। इसके अलावा अचानक कोई आरएसएस कोटे का हो जाता है तो कोई विद्यार्थी परिषद का झंडा हिलाते हुए सबके ऊपर आकर टप्प से टपक जाता है।

ताई-भाई-भौजाई वालो की तो भरमार है। लेकिन इसमें कोई भाजपाई है? नही है। सब अपने अपने नेता के जी हजुरिये। पट्ठे। ठीक वैसे ही जैसे कांग्रेस में हुआ करता है। सबके अपने अपने गुट। अपना अपना कोटा। अपने अपने नेता। जिस विकृति ने कांग्रेस को देशभर में कही का नही छोड़ा…आप उस विकृति को पाल पोस रहे हो। वहां भी ऐसे ही नेता और उनके गुट है। निर्गुट नेता और कार्यकर्ताओं का अब भाजपा में भी कोई खैरख्वाह नही। तो फिर भाजपा को भी कांग्रेस बनने में कितनी देर लगना है? और एक दो चुनाव का फील गुड। फिर..??

…ऐसे आएगा राम राज्य? ऐसे करेंगे आप भारत को विश्व गुरु। घर मे आपस मे तलवार खिंचे बेठे हो और बाहर वसुधेव कुटुम्बकम का नारा बुलंद करते हो। कितने दिन का है ये आपका फील गुड? क्या अमर बूटी खाकर आये है मोदी योगी शाह? इनके बाद क्या? कब तक इनके पुरुषार्थ की फसल काटोगे? आप स्वयम क्या कर रहे है? बस सत्ता कैसे मिल जाये, मिल जाये तो कैसे चिपक जाए, चिपक जाए तो कैसे किसी को आगे नही आने दिया जाए…!! ये ही तो कर रहे है आप सब। पार्टी की जड़ो को खत्म कर आप पूरी भाजपा को ही रसातल में ले जा रहे हो।

इतनी मदान्धता ठीक नही।
इतनी आत्ममुग्धता उचित नही।
इतनी मगरूरता, इतना घमंड क्यो?

जरा सत्ता की कुर्सी से नीचे झांककर तो देखो तुम्हारा देवदुर्लभ कार्यकर्ता कितना गुस्से में है? कितना आक्रोशित है। तुम जितना उपर जा रहे हो, जमीन पर उतने नीचे धँसते जा रहे हो। क्योकि ये देवदुर्लभ कार्यकर्ता ही तो आपकी जमीन है। और ये जमीन के अंदर एक ज्वालामुखी धधक रहा है। समय रहते इसे पढ़ ले-समझ ले। अन्यथा उमेश शर्मा की मौत ने इस ज्वालामुखी के मुहाने को खोल तो दिया ही है. सैलाब आएगा तो अब बह जाएगा। तुम्हारी सत्ता। तुम्हारा रसूख। सब धूलधूसरित हो जाएगा।

ऐसा वनवास मिलेगा कि 15 बरस फिर सत्ता के नजदीक लौटकर नहीं आ पाओगे। लिहाजा कीजये प्रयाश्चित ओर दीजिये उन्हें पद जो पात्र है। जो परिक्रमा नही करते। जिनका कोई आका नही। जो किसी के पट्ठे नही। जिनका नेता केवल ओर केवल कमल निशान है जैसा प्रिय उमेश भाई का था! किसी के पट्ठे होते तो आईडीए में होते। किसी के हजुरिये होते तो नगर अध्यक्ष होते। किसी की चम्मच होते तो विधायक पार्षद एमआइसी मेम्बर होते। शुद्ध भाजपाई थे। नतीज़तन खाली हाथ रुखसत हो गए। लेकिन भूलना मत.सुदामा अतृप्त गया है. उसकी आत्मा को तब ही सुकून मिलेगा जब उनके जैसे लोगो की उपेक्षा नही होगी। तो कीजिये प्रायश्चित।