कवि-लेखक, चित्रकार, शिल्पकार, और शुरुआती दिनों में पत्रकार रहे प्रोफेसर प्रणय के शिल्पलोक में अब भारतीय पत्रकारिता के नक्षत्र राजेन्द्र माथुर भी बिराज गए हैं..।
मानिकपुर(बाँदा) जो कि प्रणयजी का पुस्तैनी पता है, वहाँ उनके संग्रहालय में अमीरखुसरो, बिहारी, जायसी, कबीर, सूर, तुलसी, केशव से लेकर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, आचार्य हजारी प्रसाद, यहां तक कि गीतर्षि नीरज भी बिराजित हैं। शायद ही हिंदी जगत का कोई मूर्धन्य प्रणयजी की छेनी-हथौड़ी से अबतक बचा हो..।
प्रणय के शिल्पलोक में साहित्य के साथ अब पत्रकारिता के महापुरुषों की प्राणप्रतिष्ठा का क्रम शुरू हुआ है..प्रभाष जोशी के बाद अब राजेन्द्र माथुर..।