इंदौर । इंदौर में इस बार भाजपा की जीत से ज्यादा नोटा की संख्या को लेकर बातें चल रही हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले से हटने के बाद कांग्रेस जहां दावा कर रही है कि नोटा इस बार इतिहास बनाएगा, वहीं भाजपा इस दावे को खोखला करने में जुटी है। अगर पुराने दो चुनाव का रिकार्ड उठाकर देखें तो नोटा का पारा इंदौर में 1 प्रतिशत के पार भी नहीं पहुंच पाया है।
हर ओर एक ही चर्चा है कि इस बार इंदौर में नोटा का बटन कल कितनी बार दबाया जाएगा, यानी नोटा को कितने वोट मिलेंगे। कांग्रेस इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुकी है और पूरी कांग्रेस एक होने का दावा किया जा रहा है। सभी विधानसभा क्षेत्रों में पूर्व विधायकों और पार्टी के नेताओं को जवाबदारी सौंपी गई है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में कल सुबह से ही नोटा को लेकर अपील करें। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद इसकी अपील सोशल मीडिया पर कर चुके हैं तो भाजपा भी बता रही है कि नोटा से कुछ होने वाला नहीं। भाजपाइयों को संभावित चुनाव परिणाम तो मालूम है ही, इसलिए प्रचार में इस बार ज्यादा शोर नहीं हुआ और काम भी। सभी बातों को दरकिनार रख नोटा की बात की जाए तो पिछले चुनाव में कभी नोटा रिकार्ड नहीं बना पाया। यहां कांग्रेस और भाजपा में ही मुख्य मुकाबला होता आया है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें 0.43 प्रतिशत का इजाफा जरूर देखने को मिला है, लेकिन आज तक कुल मतदान में नोटा का प्रतिशत 1 भी नहीं पहुंचा है। विधानसभा चुनाव में 0.73 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था तो लोकसभा चुनाव में 0.30 मतदाताओं ने नोटा दबाकर किसी को भी नहीं चुना था। वैसे भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है कि कहीं नोटा में अधिक वोट न पड़ जाए, जिससे भाजपा प्रत्याशी को कम वोट मिले।
ललवानी का दावा- मतदाता नहीं करेंगे वोट खराब
पिछले लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस को 5 लाख 20 हजार 268 वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस दावा कर रही है कि 2 लाख से अधिक वोट नोटा के रूप में जा रहे हैं, जिसके लिए कांग्रेस के नेता पूरा दमखम लगाए हुए हैं। उधर भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी का कहना है कि इंदौर का मतदाता जागरूक और समझदार है वह अपना वोट किसी के बहकावे में आकर नहीं देगा। इंदौर की जनता अपने वोट की कीमत जानती है और वह इसी आधार पर अपना मतदान हमारे पक्ष में करेगी।