नई दिल्ली: पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े नीरव मोदी को भारत लाने का रास्ता अब साफ़ नजर आ रहा है क्योंकि लंदन की अदालत ने नीरव मोदी को मुकदमा चलाने के लिए भारत को प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया है। इस बात से नीरव के प्रत्यर्पण को लेकर आशाएं और भी मजबूत हो गई है। साथ ही लंदन की कोर्ट ने नीरव मोदी की आपत्तियों को खारिज कर दी है और कहा हैं कि भारतीय न्यायपालिका निष्पक्ष है।
लंदन कोर्ट का कहना है कि वे भारत सरकार के आश्वासन से संतुष्ट है, और इसके बाद नीरव मोदी को अब मुंबई के आर्थर जेल में रखा जा सकेगा, लेकिन नीरव मोदी के पास अभी भी कुछ रास्ते है जिनसे वो कोर्ट के इस फ़ैसले के खिलाफ अपील कर सकता है।
बता दे कि लंदन कोर्ट के जज ने यह भी कहा है कि नीरव मोदी को भारत में कई सवालों के जवाब देने हैं, और अब भारत में उसे दोषी करार दिए जाने की बड़ी संभावनाएं हैं। साथ ही कोर्ट का ये भी कहना है कि भारत में नीरव मोदी के साथ न्याय न होने की बात के पीछे कोई आधार नहीं है, भारत की न्यायपालिका निष्पक्ष है।
इतना ही नहीं कोर्ट के इस आदेश के बाद अभी भी नीरव मोदी इससे बचने के लिए अपनी मानसिक सेहत का बहाना लेकर प्रत्यर्पण से बचना चाह रहा था, लेकिन अभी भी नीरव मोदी के पास समय है और लीगल तौर पर उनके पास कई विकल्प भी है, क्योंकि फिलहाल उसे भारत वापस लाने के रास्ते में कई पेच बाकी हैं।
अभी भी है ये तीन विकल्प-
फिलहाल नीरव के पास तीन विकल्प आज भी है जिनके जरिये वो बच सकता है। सबसे पहला तो ये कि अगर नीरव मोदी लंदन की इस स्थानीय कोर्ट के फैसले को वहां के हाईकोर्ट में चुनौती दे।
दूसरा विकल्प है यदि नीरव हाईकोर्ट में भी हार जाता है तो इसके बाद भी उसके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प होगा।
तीसरा विकल्प है मानवाधिकार-
इस तीसरे और क़ारगर विकल्प के अनुसार अगर नीरव मोदी अपनी मेंटल हेल्थ और मानवाधिकारों को आधार बनाता है, या ये बहाना बनाता है कि भारत की जेलों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं तो नीरव मोदी यूके की मानवाधिकार अदालतों में भी जा सकता है। जिसके बाद इस प्रक्रिया ने लंबा समय निकल जायेगा। नहीं तो फिर नीरव को 28 दिन के अंदर ही उन्हें भारत लाया जा सकेगा और अगर नीरव मोदी लंदन की इस लोकल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर देते हैं तो इसके बाद एक बार फिर यही प्रक्रिया चलेगी।
ब्रिटेन का कानून नीरव मोदी को अधिकार देता है कि वो लोकल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकें. अब ये नीरव मोदी पर निर्भर करता है कि वे आगे क्या करने वाले हैं. लेकिन नीरव मोदी पर इस फैसले को देते समय लंदन की स्थानीय कोर्ट ने जो बातें कहीं उनमें से तीन बातें अधिक प्रमुख हैं जिनसे भारत का पक्ष और अधिक मजबूत होता है. एक ये कि लंदन की कोर्ट ने प्रथम दृष्टया ये माना है कि नीरव मोदी ने PNB बैंक के अधिकारीयों के साथ मिलकर घपलेबाजी का जाल बुना है. दूसरी बात ये कि नीरव मोदी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में भी शामिल रहा है.
तीसरी बात अदालत ने ये कही कि ये संभव है कि अगर नीरव मोदी को हिंदुस्तान भेजा जाता है तो उसे वहां इस मामले में अपराधी ठहरा दिया जाएगा. रही बात नीरव मोदी के मेंटल हेल्थ की तो उनकी मेंटल हेल्थ का ख्याल हिंदुस्तान में भी रखा जा सकता है. आपको बता दें कि नीरव मोदी ने अपने पक्ष में तर्क दिया था कि उनकी मेंटल हेल्थ सही नहीं है, ऊपर से हिंदुस्तान की जिस जेल में उन्हें रखा जाएगा वहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. उनकी मेंटल हेल्थ को देखते हुए उन्हें भारत के लिए प्रत्यर्पित न किया जा