ठंड की चपेट में आ रहे है नवजात, रखे इस उम्र के बच्चो का ख्याल

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प्रयागराज: एक तरफ कोरोनाकाल के चलते गर्भवती महिलाओ और गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षा के लिए हर तरह की सतर्कता बरती जा रही थी। लेकिन कोरोना पर तो भारत देश ने काफी अच्छा कंट्रोल किया है जिसके बाद अब आये दिन देश में कोरोना मरीजों की संख्या में कमी भी आ रही है। देश में कोरोना की वैक्सीन टीकाकरण भी शुरू हो चूका है। लेकिन जहा इस कोरोना से गर्भ में पल रहे बच्चो की सुरक्षा की जा रही थी वही इस बार की ठंड की वजह से बच्चो को कई प्रकार की बीमारियों से लड़ना पड़ रहा है। इस बार उत्तरप्रदेश में सर्द हवाओ ने हालत ख़राब कर रखी है, जिसके कारण ठंड बढ़ने से उनके शिशु एनआईसीयू यानी नेटल इंटेंसिव केयर यूनिट और पीआईसीयू वार्ड यानी पीडियाट्रिक केयर यूनिट समेत जनरल वार्डो में भर्ती कराया गया है।

इस बार की ठंड में पैदा हो रहे नवजात ठंड की चपेट में आ रहे है और कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। जिसके कारण बच्चो के माता पिता काफी परेशान हो रहे है। इस बार पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और सर्द हवाओं के चलने से प्रदेश में गलन और ठिठुरन जारी है, जिस कारण नवजात इस ठंड से जंग लड़ रहे है, अचानक बदल रहे मौसम का असर बच्चो पर काफी बुरा पड रहा है। जिसके चलते चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में रोजाना बड़ी संख्या में सीरियस हालत में बच्चो के कई मामले सामने आ रहे है। डॉक्टर्स के अनुसार इस बार की ठंड में नवजातों का विशेष ख्याल बेहद जरूरी है। अभिभावकों की जरा सी लापरवाही उनकी जान पर आ सकती है। डॉक्टरों के अनुसार 12 साल तक के बच्चो का इस ठंड में विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए।

ठंड बन रही बच्चो के लिए खतरे की घंटी
इस बार अचानक से मौसम ने रुख बदला है जिसके बाद हवाओ की तेज़ गति हो गयी है, तापमान लगातार नीचे आ रहा है और यह तापमान बच्चो के लिए खतरा बनते जा रहा है। जिसके बाद इस ठंड ने नवजात को विभिन्न प्रकार की बीमारियां बच्चों को चपेट में ले रही हैं। जिसमे बच्चो के कम वजन, जन्म के बाद इंफेक्शन, पीलिया, सांस लेने में दिक्कत, ब्रांकोलाइटिस, निमोनिया जैसी बीमारियां दस्तक दे रही है। इसके बाद अस्पातल में बच्चो की तबियत खरब होने के मामले सामने आये है जिस कारण अस्पातल के बेड फुल हो गए है। फिलहाल हॉस्पिटल में आने वाले ऐसे मरीजों की संख्या रोजाना 150 से 200 के आसपास है।

यह ठंड नवजात कुपोषित बच्चो के लिए जान पर बन सकती है, और यह सीज़न खासकर उन बच्चो के लिए खतरनाक है, जो जन्म से कुपोषित है और वजन उम्र के हिसाब से कम है। इस ठंड ज्यादातर कमजोर बच्चो को ये बीमारियां तेजी से चपेट में ले रही है।