महाकाल ज्योतिर्लिन्गम का मुख दक्षिणमुखी है और वर्तमान काल में महाकालेश्वर मंदिर में मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है. मंदिर से बाहर जाने के लिए पश्चिम द्वार से निकलने की व्यवस्था है. आज दिनांक तक उत्तरी द्वार का उपयोग विशिष्ट प्रयोजन के लिए होता है. मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में जब सूर्यदेव की रश्मियां अपनी आभा बिखेरना आरम्भ करती हैं, तो वे बिना किसी बाधा के नैसर्गिक रूप से पाताल में स्थापित महान शिव पिंड पर अणिमा बिखेरने लगती हैं.
मान्यता ये भी है कि मंदिर में स्थित कोटितीर्थ कुंड में सभी सप्तजीवी महापुरुष शयन करते हैं और प्रतिदिन भोर फटने से पहले महाकालजी के गर्भगृह में आकर नतमस्तक होते हैं और उनका विधिवत अभिषेक करते हैं. ये एक दृढ़ मान्यता है कि अलसुबह चार बजे के आसपास मंदिर और उसके आसपास ऐसी वायु प्रवाहित होती है जो कई लोगों को प्राणवायु भी देती है. शायद इसी कारण महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन सुबह साढ़े चार बजे से शुरू होने वाली भस्मारती समूचे ब्रह्माण्ड को आकर्षित करती आई है.
महिमामंडित उज्जयिनी के ऐसे अधिष्ठाता के समक्ष रविवार (11/07/2021) को जब मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने ये ऐलान किया कि उज्जैन में एक नया सूर्योदय हो रहा है, तो वाकई मन और मस्तिष्क झंकृत हो उठा. सार्वजनिक मंचों से उनके द्वारा कहा गया कि जिले में उज्जैन, नरवर, निनोरा और नागदा आदि में 4000 करोड़ रुपए के औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. तमिलनाडू की एक होसीएरी कंपनी ने तो 60 करोड़ की पूंजी से नागझिरी (देवास रोड) की बंद पड़ी सोयाबीन फैक्ट्री में कारखाने लगाने के लिए भूमि-पूजन भी कर दिया.
यही कंपनी इसी भूमि पर 150 करोड़ रुपए का और इन्वेस्टमेंट करना चाहती है. इसके प्रोमोटर्स का दावा है कि कोई 6 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकेगा. शहर में कई तरह के धंधे और व्यवसाय शुरू होंगे और यहां की इकॉनोमी बढ़ेगी. अन्य उद्योगों की स्थापना से प्रत्यक्ष तौर पर 10 हजार लोगों को रोजगार मिलने के अनुमान भी प्रकट किए गए हैं.
मुख्यमंत्री जी ये भी कह गए कि उज्जैन दोबारा एक औद्योगिक सल्तनत बनने की तरफ अग्रसर है और उनकी सरकार इस दर्जे को वापस दिलाने के लिए कृतसंकल्पित है. उन्होंने कहा कि उज्जैन की पृष्ठभूमि में अनेकानेक आध्यात्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और शैक्षणिक विशेषताएं जुडी हुई हैं, पर आधुनिक काल में भी इसके महात्मय का कोई सानी नहीं है. धार्मिक अथवा परंपरागत आख्यानों की बदौलत ही उज्जयिनी गौरवान्वित नहीं है बल्कि अनुसंधानों के प्रकाश में और ज्योतिर्विज्ञान में एकमात्र अनूठे स्थान पर अवस्थित होने के चलते भी ये कालजयी नगरी है.
2020 से ‘निरंतर’ जारी कोरोना-काल में जब लोगों की जेब से धेला और चवन्नी निकलवाना भी बेहद कठिन कार्य हो चुका है, देश और विदेश के उद्यमी उज्जयिनी की धरा पर आकर्षित हो रहे हैं. एक बड़ा निवेश होता दिख रहा है. निराशा के घोर पल आशा, उत्साह और उमंग भरते प्रतीत हो रहे हैं. आम जन भी आशान्वित है कि कुछ अच्छा होगा!
निरुक्त भार्गव , पत्रकार