मुंबई : सेंटौर फार्मास्युटिकल्स ने दुनिया में पहली बार एक न्यू केमिकल एंटाइटी (एनसीई)- वॉक्सहील® के लॉन्च की घोषणा की है। एक्शन के अपने ड्यूअल मेकैनिज्म के साथ वॉक्सहील डायबिटिक फुट अल्सर्स के इलाज में एक अनूठा उत्पाद है। यह दुनियाभर में ऐसे लाखों डायबीटिक्स को बचाएगा, जिन्हेंं फुट एम्प्युटैशन से गुजरना होता है।
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि अगले 10 साल में भारत में डायबिटीज के 10 करोड़ मरीज होंगे। डायबिटीज से उत्पन्न होने वाली अन्य समस्याओं के बीच भारत में डायबिटिक फुट अल्सर सबसे आम समस्या है। डायबिटिक फूट अल्सर्स ठीक नहीं होते हैं, वे रोगी के जीवन की गुणवत्ता को खराब करते हैं और वेट गैंगरीन, सेलुलाइटिस, फोड़ा और नेक्रोटाइजिंग फैसिटिस जैसी समस्याए भी उत्पन्न कर सकते हैं, जिनके कारण पूरा या आंशिक फूट एम्प्युटैशन होता है। डाटा बताता है कि डायबिटीज के 25 प्रतिशत रोगियों को जीवन में कभी न कभी डायबिटिक फुट अल्सर होगा। पैर में तीव्र संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले 5 में से 1 डायबिटिक्स को फूट एम्प्युटैशन होता है, जिससे परिवार की आजीविका प्रभावित होती है।
इस अवसर पर सेंटौर फार्मास्युटिकल्स के चेयरमैन एवं एमडी श्री एस. डी. सावंत ने कहा, ‘‘सेंटौर फार्मास्युटिकल्स में हम भारत में फुट एम्प्युटैशन के बढ़ते मामलों से बहुत चिंतित हैं और उसे रोकने के लिये एक दवा खोजना चाहते थे। पंद्रह साल पहले हमने साइटोटूल्स एजी, जर्मनी के साथ गठबंधन किया था, जिनके पास डायबिटिक फुट अल्सर के उपचार के लिये यह आशाजनक मॉलीक्युल था। हम भारत में डायबिटिक फुट अल्सर के रोगियों के लिये आशा की किरण लाकर प्रसन्न हैं।’’
वैश्विक पेटेन्ट वाला उत्पाद वॉक्सहील® टॉपिकल सॉल्यूशन डायबिटिक फुट अल्सर्स के उपचार में प्रभावी है। वॉक्सहील® में एनसीई, डाइपेराक्जोक्लोरिक एसिड होता है, जिसे डीपीओसीएल भी कहा जाता है। वॉक्सहील® के पास एक्शन का ड्यूअल मेकैनिज्म है, अर्थात् ग्राम पॉजिटिव और ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया के विरूद्ध इसका फंक्शनल एंटीबैक्टीरियल एक्शन और यह फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं की वृद्धि को बढ़ावा भी देता है, ताकि घाव पूरी तरह भर जाए।भारत के 15 से ज्यादा क्लिनिकल ट्रायल सेंटर्स में वॉक्सहील® पर रैंडमाइज्ड क्लिनिकल ट्रायल हुए थे, जिनमें पाया गया कि ठीक न होने वाले डायबिटिक फुट अल्सर के 90 प्रतिशत से ज्यादा रोगियों में अल्सर का आकार घटा और 75 प्रतिशत रोगी सुरक्षा की समस्या के बिना 6-8 सप्ताह में पूरी तरह ठीक हो गये। ट्रायल का डाटा और परिणाम इंडियन रेग्युलेटरी अथॉरिटी को सौंपा गया और वॉक्सहील® के लिये सेंटौर फार्मास्युटिकल्स को उत्पादन और मार्केटिंग का अनुमोदन मिला।
वॉक्सहील® के को-इनोवेटर और साइटोटूल्स एजी, जर्मनी के सीईओ डॉ. मार्क-एंड्री फ्रेबर्ग ने कहा, ‘‘वॉक्सहील® भारत में फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल्स पूरे कर चुका है और डायबिटिक फुट अल्सर वाले रोगियों में घाव को तेजी से भरने की योग्यता दिखा चुका है, जिसका उपचार बहुत कठिन है।’’
वॉक्सहील® के को-इनोवेटर और साइटोटूल्स एजी, जर्मनी के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. डिर्क कैसर ने कहा, ‘‘वॉक्सहील® भारत और जर्मनी के गठबंधन से जन्मी एक अनूठी दवा है। यह डायबिटिक फुट अल्सर के उपचार का तरीका बदल देगी और एम्प्युटैशन की रोकथाम में मदद करेगी।’’ डॉ. कैसर ने यह भी कहा कि फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल यूरोप में चल रहे थे और फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल के परिणाम भारत के क्लिनिकल ट्रायल्स जैसे थे।
सेंटौर फार्मास्युटिकल्स का यह अग्रणी प्रयास पूरी नहीं हुई एक चिकित्सकीय आवश्यकता के लिये एक स्वावलंबी देश और फार्मा सुपर-पावर के तौर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाता है। वॉक्सहील® इस माह के अंत तक पूरे देश में उपलब्ध होगा।
सेंटौर फार्मास्युटिकल्स के विषय में
सेंटौर फार्मास्युटिकल्स की संस्थापना 1978 में हुई थी, यह नुस्खों के आधार पर भारत की 34वीं सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनी है। सेंटौर एक पूर्णतया एकीकृत फार्मास्युटिकल कंपनी है, जो एपीआई, आर एंड डी, सीआरएएम, क्लिनिकल रिसर्च और फॉर्मूलेशंस में निपुण है और 110 देशों को निर्यात करती है। सेंटौर के पास यूएसएफडीए द्वारा अनुमोदित विश्व-स्तरीय क्लिनिकल रिसर्च, एपीआई और उत्पादन सुविधाएं हैं। सेंटौर सिनारेस्ट की मार्केटिंग करता है, जो भारत का नंबर 1 एंटी-कोल्ड ब्राण्ड है, जिसे पिछले छह सालों से लगातार एडब्ल्यूएसीएस-ब्राण्ड ऑफ द ईयर अवार्ड मिल रहा है।
साइटोटूल्स एजी के विषय में
साइटोटूल्स एजी एक जर्मन बायोटेक्नोंलॉजी कंपनी है, जो कोशिकाओं की वृद्धि और योजनाबद्ध मरण की क्रियाविधि पर आधारभूत जीवविज्ञान शोध को अनूठे उपचारों में बदलने पर केन्द्रित है, जो रोग के कारण को ठीक करें, केवल लक्षणों पर केन्द्रित न हों। इस कंपनी ने रोग का रूपांतरण करने वाले उपचारों की एक मजबूत और विविधतापूर्ण रेंज विकसित की है, जिनमें मालिकाना छोटे मॉलीक्युल्स और बायोलॉजिक्स हैं। यह डर्मेटोलॉजी, कार्डियोलॉजी और एंजियोलॉजी, यूरोलॉजी और ऑन्कोलॉजी में नये उपचार विकल्प देने की क्षमता रखते हैं।