इतिहास रचने के बाद बोले नीरज- गोल्ड मेडल के बारे में नहीं सोचा था

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नई दिल्ली। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच कर पूरे देश का सर गर्व से ऊंचा किया है। आज नीरज ने वो कारनामा किया है जो हर एक एथलीट का सपना होता है। उन्होंने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है। नीरज ने शनिवार को भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर का थ्रो करके दुनिया के दिग्गज जैवलिन थ्रोअर को मात दे दी।

बता दें कि, भारत का ओलंपिक एथलेटिक्स में ये पहला मेडल है और वो भी गोल्ड है। ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत को 13 साल बाद दूसरा गोल्ड मिला है। बीजिंग ओलंपिक 2008 में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने किया था। वहीं अब ओलंपिक में इतिहास रचने के बाद नीरज चोपड़ा ने पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, ‘मुझे पता था कि मैं अपना बेस्ट दूंगा. आज कुछ अलग करना था, लेकिन गोल्ड मेडल के बारे में मैंने नहीं सोचा था।’

वहीं यह पूछने पर कि क्या वह स्वर्ण पदक जीतकर हैरान थे, जिसमें जर्मनी के महान एथलीट जोहानेस वेटर भी शामिल थे। तब उन्होंने कहा कि, ‘क्वालिफिकेशन राउंड में मैंने काफी अच्छा थ्रो फेंका था, इसलिए मैं जानता था कि मैं फाइनल में बेहतर कर सकता हूं।’ नीरज ने आगे कहा कि जब राष्ट्रगान की धुन बजी और तिरंगा लहराया…मेरे शरीर में करंट दौड़ गया…मेरी आंखों में आंसू आ गए…नीरज चोपड़ा ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, ‘विश्वास नहीं हो रहा। पहली बार है जब भारत ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है इसलिए मैं बहुत खुश हूं।’

साथ ही नीरज के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद उनके चाचा सुरेंद्र चोपड़ा ने कहा कि, ‘मैं उसके लिए टॉर्चर वाला अंकल था. क्योंकि मैं उसे जल्दी जगा देता था। आज इन कहानियों को फिर से देखना अजीब लगता है। हम चाहते थे कि वह फिट रहे क्योंकि फिट और प्रेजेंटेबल लोगों को जीवन के हर क्षेत्र में गंभीरता से लिया जाता है।’ उन्होंने आगे कहा कि हम उसे ट्रेनिंग के लिए मैदान में ले जाते थे लेकिन जब वह वापस आता तो चूरमा खाता था इसलिए उसके वजन में कोई अंतर नहीं आता था। वह 13 साल की उम्र में 80 किलो का था। सुरेंद्र चोपड़ा ने कहा कि जब वह अपने गांव से दूर फिटनेस सेंटर गया तो हमें उसके आहार को पूरी तरह से बदलने के लिए कहा गया और उसने शुरू में उसका पालन करने से इनकार कर दिया।