हरियाणा सरकार- 6 करोड़, ए ग्रेड नौकरी
पंजाब सरकार – 2 करोड़
मणिपुर सरकार – 1 करोड़
BCCI -1 करोड़
CSK – 1 करोड़,8758 नम्बर की जर्सी
रेलवे -3 करोड़
बेजॉस -1 करोड़
महिन्द्रा – SUV 700
Indigo Airline – एक साल तक फ्री हवाई यात्रा
Indian Olympic Association -75 लाख
खेलेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया !
खेलो इंडिया !
अर्जुन और मछली की आँख वाली कहानी तो आप लोगों ने सुनी ही होगी ?
त्राटक शब्द भी सुना ही होगा ?
तो मछ्ली की आँख देखना और त्राटक करना एक ही बात है। जब व्यक्ति त्राटक यानि एकाग्रता में पारंगत हो जाता है, तो वैभव, समृद्धि, ऐश्वर्य सब सध जाते हैं। लेकिन एकाग्रता बहुत ही कम लोग साध पाते हैं। अधिकांश उलझे रहते हैं दुनिया भर के उपद्रवों में।
सुखी, समृद्ध व ऐश्वर्यवान होना न तो अपराध है और ना ही पाप। लेकिन जब आप पैसों के पीछे भागते हैं, तो कुछ नहीं मिलता सिवाय ठोकरों के। क्योंकि पैसा, सुख, समृद्धि प्राप्त करने के लिए जो एकाग्रता चाहिए होती है, वह नहीं होता।
बहुत से लोग सोचते हैं समाज सेवा करेंगे और पूरे समाज की समस्याएँ अपने सर पर ढोकर चलने लगते हैं। होता यह है कि वे आजीवन संकटों, दुखों और दरिद्रता से घिरे रहते हैं।
अपने चारों ओर नजर उठाकर देखिये, जितने भी समाज सेवक हैं, सभी दुर्दशा में हैं। जबकि जो समाज सेवा का ढोंग कर रहे है, वे बड़े बड़े नेता बने बैठे हैं, जनता को लूट खसोट रहे हैं।
तो चूक कहाँ हो रही है ?
चूक हो रही है अपनी रुचि को महत्व न देने की और दूसरों की समस्याओं को व्यर्थ में ढोने की। नीरज चोपड़ा ने समाज को सुधारने की बजाए, स्वयं की रुचि को महत्व दिया और आज सारा समाज उसकी जय जय कर रहा है। इसलिए नहीं कि उसने समाज कल्याण का कार्य किया, बल्कि इसलिए क्योंकि उसने स्वयं के कल्याण का कार्य किया। अर्थात उसने स्वयं को महत्व दिया, स्वयं की रुचि को महत्व दिया।
इसीलिए कहा गया है;
“हम को मन की शक्ति देना
मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले
खुद को जय करे !”
जिसकी रुचि जिसमें है, उसे वही अपनाना चाहिए। जैसे नेता भक्तों की रुचि नेताओं में हैं, अभिनेता भक्तों की रुचि अभिनेताओं में हैं…वे उनकी जय जय करते घूमते हैं। भले खुद के घर में खाने को न हो।
देखा हैं मैंने कि राजनैतिक लोगों की रुचि केवल अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार से संबन्धित विषयों पर रहती है। बाकी किसी चीज में उनकी कोई रुचि नहीं होती। उन्हें अपनी पार्टी का लोगो किसी भी पोस्ट में दिख जाए, पहुँच जाते हैं जय जय करने। लेकिन कोई दूसरा कितना ही महत्वपूर्ण विषय उठा रहा हो, पार्टी और नेता भक्तों को दिखाई नहीं देता।
तो वे गलत नहीं है। वे भी नीरज चोपड़ा की तरह ही ध्यानस्थ हैं। लेकिन आप जाकर कहो नीरज चोपड़ा या राजनैतिक पार्टियों को, कि देश में यह हो रहा है और वह हो रहा है, उसपर ध्यान क्यों नहीं देते ? तो ये आपकी ही मूर्खता है।
क्योंकि यदि वे आप लोगों की तरह बाकी चीजों पर ध्यान दे रहे होते, तो आपको उनका नाम तक पता न चलता आज और आपकी ही तरह दूसरों से पूछते फिर रहे होते कि आप वहाँ ध्यान क्यों नहीं देते और वहाँ ध्यान क्यों नहीं देते।
कभी सोचा है आपने कि आप दुनिया भर में ध्यान देते हैं लेकिन क्या जितना मान सम्मान नीरज चोपड़ा को मिला, जितना मान सम्मान फिल्मी सितारों को मिलता है, जितना मान सम्मान राजनेताओं को मिलता है, क्या उतना ही मान सम्मान आपको भी मिलता है ?
क्या आपको भी करोड़ों रुपयों की भेंट मिलती है ?
नहीं ना ?
तो फिर स्वयं के विषय में सोचिए। दुनिया अपनी चिंता स्वयं कर लेगी, उसे आवश्यकता नहीं है आपकी या मेरी। आप स्वयं को समृद्ध बनाइये, मैं स्वयं को समृद्ध बनाऊँ बस इतना ही काफी है। समाज सेवा के चक्कर में पड़ेंगे, तो ना समाज की सेवा हो पाएगी और न ही अपनी। हाँ इतना अवश्य हो जाएगा कि मरणोपरांत लोग आपकी जय जय करने लगें, लेकिन पूरा जीवन भुखमरी में बीत जाएगा और ना समाज पूछने आएगा और न ही सरकार पूछने आएगी कि ज़िंदा हो या मर गए !
~ विशुद्ध चैतन्य