Navratri Kanya Pujan : जानें, अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का महत्व, ये है शुभ मुहूर्त

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Navratri Kanya Pujan : नवरात्रि का त्यौहार पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। इस पर्व को सबसे ज्यादा पावन पर्व माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं में इस नवरात्रि का काफी महत्व है। आज नवरात्री का 8वां दिन है। ऐसे में आज कन्या पूजन होगा। अष्टमी और नवमी एक साथ होने के कारण कन्या पूजन इसी दिन होगा। इसी के साथ इस दिन से ही सभी शुभ काम किए जाते हैं। भक्त इन नौ दिनों मां के लिए व्रत भी रखते है।

आपको बता दे, मां दुर्गा की विदाई कन्या पूजन के साथ ही की जाती है। ऐसा कहा गया है कि नवरात्रि स्थापना के बाद विदाई भी उसी तरह से की जानी चाहिए। वहीं अधिकतर लोग इस ही इन कन्या पूजन करते है। वैसे तो कन्या पूजा सप्तमी से ही शुरू हो जाती है। ये पूजन सप्तमी से शुरू होकर अष्टमी और नवमी के दिन तक मनाया जाता है।

मुहूर्त –

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। वहीं नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबरशाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी।

कन्या पूजन महत्व –

नवरात्रि पर सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन कन्याओं को घर पर बुला कर उनका पूजन करने से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इनके पूजन से विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी की कन्या पूजन से होती हैं।

कन्या की पूजा करने से मिलता है ऐसा वरदान –

मान्यताओं के मुताबिक, कन्या पूजन में कन्या पूजन का विधान है। कहा जाता है कि नवरात्रि में व्रत रखने, देवी की पूजा करने, दर्शन करने और हवन करने से, कन्या पूजन करने से नवरात्रि में देवी की पूजा का पूरा फल मिलता है। कन्या पूजा में 2 साल से 11 साल तक की लड़कियों की पूजा करने का विधान है। आपको बता दे, कन्या पूजा में दो साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है, जिसकी पूजा करने से मां साधक के दुख और दरिद्रता को दूर करती है। वहीं तीन वर्ष की कन्या का नाम त्रिमूर्ति है। इनकी पूजा करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है।

ऐसे ही ठीक चार वर्ष की कन्या का नाम कल्याणी है। इनकी पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। पांच साल की बच्ची का नाम रोहिणी है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है। छह साल की लड़की को कालिका रूप कहा जाता है। इनकी पूजा करने से ज्ञान और विजय की प्राप्ति होती है। वहीं सात साल की बच्ची का नाम चंडिका रूप है। इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या का नाम शाम्भवी है। इनकी पूजा करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। साथ ही नौ साल की कन्या को दुर्गा कहा जाता है। इनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। इनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कन्या की पूजा करने से शत्रु का नाश होता है –

शास्त्रों के मुताबिक, सभी शुभ कार्यों का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कन्या की पूजा करने से यश, कीर्ति, वैभव, धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है, साथ ही भय और शत्रुओं का नाश होता है। कहा जाता है कि जप, तपस्या और दान से देवी उतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कि एक लड़की की पूजा की जाती है।

साथ ही शास्त्रों में ये भी कहा गया है कि एक कन्या की पूजा से यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दो की पूजा से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है, तीन की पूजा से धर्म, अर्थ और काम, चार की पूजा से राजपद, पांच की पूजा से शिक्षा और सिद्ध होता है। शिक्षा, छह की पूजा करने से सिद्धि प्राप्त होती है, सात की पूजा से साम्राज्य की प्राप्ति होती है, आठ की पूजा से धन की प्राप्ति होती है और नौ की पूजा से पूरी पृथ्वी पर प्रभुत्व होता है। इसलिए नवरात्रि में नौ कन्याओं की पूजा का विशेष महत्व है।