जैविक खेती महोत्सव में लाई गई प्राक्रतिक रूप से तैयार पोष्टिक फसलें, स्वास्थ्य के साथ स्वाद में भी है भरपुर

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आबिद कामदार

Indore। आज खेती को व्यवसाय का धंधा मानकर लोग सब्जियों से लेकर अन्न और अन्य चीजों में धड़ल्ले से रसायनिक और कीटनाशक दवाइयों का उपयोग किया जाता है, जिसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर पढ़ता है, इसके लिए सरकार द्वारा जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए इंदौर में तीन दिवसीय जैविक महोत्सव का आयोजन ढक्कन वाला कुआं पर किया गया है। इस महोत्सव में प्राक्रतिक रूप से तैयार सब्जियां, अन्न, फल, और अन्य प्रोडक्ट लाए गए है। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के साथ साथ स्वाद में भी भरपूर है।

नीम, मदार, करंज, बेशरम, और सीताफल की कड़वी पत्तियों का इस्तेमाल कर सुरक्षित रखते है फसलें

राऊ, खुडेल और अन्य जगह से संतोष सोमतिया, प्रह्लाद चौधरी, शिरीष पिसे किसान बताते है कि वह पीछले 11 साल से प्राक्रतिक रूप से खेती कर रहे है। प्राकृतिक रूप से तैयार सब्जियां, फल, गेहूं और अन्य चीजें महोत्सव में लेकर आए है। जिसमे टमाटर, आलू, लहसुन, बैंगन, मौसंबी, सीताफल, और अन्य सब्जियां लाए है। इन सब्जियों में किसी प्रकार का कीटनाशक इस्तेमाल नही किया गया है। वह बताते है की रसायनिक खेती से हमने अपनी जमीन और स्वास्थ्य दोनों खराब कर लिए है।

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कीटनाशक के रूप में ऐसे खरपतवार जिन्हें जानवर नही खाते, जैसे नीम, मदार, करंज, बेशरम, सीताफल और अन्य पौधों को कड़वी पत्तियों को पीसकर पानी में उबाला जाता है। इसके बाद इसे पानी में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। वहीं फंगस, इल्लियों के लिए तांबे वाली छाछ, इसी के साथ गौमूत्र पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। इन सब्जियों की उत्पादन क्षमता कम होता है, वहीं यह इतनी आकर्षक नही दिखाई देती लेकिन, पोषक गुणों से भरपुर है।

उर्वरक के बजाय, पिछली फसलों के अवशेष से तैयार की फसल

हातोद से किसान अब्दुल अजीज जी प्राकृतिक रूप से तैयार सब्जियां लेकर आए है। सलाद के लिए गाजर, चुकंदर, टमाटर, पर्पल कबेज, सलाद पत्ता लेकर आए है। वहीं एक्जोटिक वेजिटेबल्स में ब्रोकली, लेट्यूस इसी के साथ देसी मैथी, पत्ता गोभी, पालक, हरा प्याज और अन्य चीजें लाए है। इनमें किसी प्रकार की कीटनाशक का इस्तेमाल नही किया गया। पेस्ट कंट्रोल के लिए फेरोमिन ट्रैप, लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करते है। इनके उपर एक गोंद लगा होता है जिससे कीटनाशक अट्रैक्ट होकर बैठने जाते है तो चिपक जाते है। वहीं पिछली फसल को मिट्टी में दबाकर अगली फसल में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

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मटका खाद से तैयार सब्जियां लेकर आए है किसान

इंदौर के उमरिया से आनंद सिंह ठाकुर ऑर्गेनिक सब्जियां लेकर आए है। इन सब्जियों के लिए गोबर खाद, केंचुआ खाद मटका खाद इस्तेमाल किया जाता है। मटका खाद को तैयार करने के लिए देशी गाय का 15 किलो गोबर, 15 लीटर गौमूत्र, 500 ग्राम पुराना गुड़, दाल का आटा वहीं पोटाश के लिए सड़े गले केले गले से तैयार किया जाता है। इसकी मदद से नाइट्रोजन, फास्फोरस, सुपर और अन्य 16 तत्वों की कमी को पूरी करता है। इसके साथ फसल के उत्पादन में बढ़त मिलती है। वहीं यह हमारे स्वास्थ के लिए काफी उपयुक्त है।