नारायण त्रिपाठी ने दोहा लिखकर चिट्ठी में दी शिवराज को चेतावनी

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भोपाल : सतना जिले के मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखा हैं। लेकिन इस बार उनके पत्र लिखने का अंदाजा कुछ अलग है। जी हां, बता दे कि इस बार नारायण त्रिपाठी ने पत्र में दोहा लिखते हुए अपनी बात रखी है। उन्होंने लिखा :-सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस। राज धर्म तन    तीनि कर होइ बेगिहिं नास। दोहे के जरिए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि- मंत्री, वैद्य और गुरु ये तीन यदि भय या  लाभ की आशा से (हित की बात न कह कर) प्रिय बोलते हैं तो क्रमशः राज्य, शरीर एवं धर्म इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है। बता दें कि रामचरित मानस के सुंदरकांड अध्याय की दोहा 37 में यह जिक्र है। यह रावण विभीषण संवाद से जुड़ा है।

मतलब अगर मंत्री और सरकार राज्य की प्रजा को नहीं देखेगा तो राज्य का नाश हो जाएगा। वही वैद्य का काम है शरीर को स्वस्थ रखना और गुरु का काम है धर्म की रक्षा करना। अगर यह तीनों अपने कार्य से विमुख हुए तो सब का नाश होना तय है। इस चिट्ठी ने फिर से त्रिपाठी की नाराजगी को उजागर कर दिया है

बता दे की पत्र में उन्होंने कोरोना इलाज मे निजी अस्पतालों द्वारा की जा रही लूट को लेकर दुख व्यक्त करते हुए, इसे रोकने की मांग की हैंं। विधायक नारायण त्रिपाठी ने लिखा कि आप संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं। प्रदेश वासियों प्राण रक्षा हेतु बेहतर प्रयास करना आपकी जिम्मेदारी हैं। इसीलिए आपसे निवेदन है कि कोविड इलाज के नाम पर निजी अस्पतालो में भयंकर लूट का इलाज का शिकार हो रहे मरीजों को बचाने का एकमात्र उपाय है कि निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के बिलों का भुगतान सरकारी दरों पर प्रदेश सरकार ही करें। इससे न केवल मरीजों को राहत मिलेगी बल्कि अस्पतालों की लूट पर भी लगाम लग सकेगी। मेरी विनती है कि आप कोरोना मरीजों के हित में निर्णय अवश्य लेंगे।

विधायक नारायण त्रिपाठी ने पत्र के जरिए बताया की कोरोना महामारी के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा है और लोग मजबूरी में घर में या आस पास के अस्पताल में रहकर भी आत्महत्या करने को मजबूर हैं। निजी अस्पतालों में जो सक्षम है, वही इलाज करा पा रहा है और उनके बिल लाखों में बन रहे हैं। शासन द्वारा निर्धारित कोविड दरों का पालन नहीं होकर चार पाच गुना तक राशि वसूल की जा रही हैं। कई गरीब परिवारों में पूरे सदस्य बीमार हैं और वे अपना महंगा इलाज नहीं करा सकते और गरीब सरकारी अस्पतालों में ही दम तोड़ने को मजबूर हैं।

बता दे की ये पहला मौका नहीं है जब उन्होंने अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। कुछ दिनों पहले भी उन्होंने सीएम शिवराज को पत्र लिखा था।

जिसमे उन्होंने लिखा था की – वर्चुअल मीटिंग के तमाशे से कुछ नहीं होने वाला है। प्रदेश के अस्पतालों के हाल-बेहाल हैं और लगभग हर जगह स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं। मरीजों को अस्पताल में इलाज नहीं मिल पा रहा हैं। दवाइयां नहीं हैं, वेटिंलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हैं। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द अस्पतालों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करनी चाहिए जिससे कि लोगों को सही इलाज मिल सके।

गौरतलब है कि कोरोना से मध्यप्रदेश में बिगड़ते हालात के चलते अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं का धैर्य भी जवाब देने लगा हैं। वे अपनी ही सरकार के मुखिया शिवराज सिंह और अपने मंत्रियों से खुलकर सवाल करने लगे हैं।