यथा नाम-तथा गुण, सलाम प्रतिभा पाल को

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राजेश ज्वेल

इसमें कोई शक नहीं कि इंदौर की स्वच्छता और कायाकल्प के मुख्य नायक मनीष सिंह हैं, जिन्होंने 2015 से 2018 के बीच बतौर निगमायुक्त रहते कचरे को कंचन में तब्दील करने की मजबूत नींव रखी, जिसकी प्रशंसा अभी बायो सीएनजी प्लांट लोकार्पण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी की देश और दुनिया में इंदौर की स्वच्छता का डंका बज रहा है कभी धूल-धुंए के साथ भीषण बदबू से सराबोर रहने वाला ट्रेंचिंग ग्राउंड अब ग्रीन झोन में तब्दील हो चुका है आज भी कलेक्टर के रूप में मनीष सिंह अपनी अन्य प्रशासनिक व्यस्तताओं के बावजूद स्वच्छता अभियान से उतनी ही शिद्दत से जुड़े हैं

यही कारण है कि 150 करोड़ रुपए की क्षमता वाले प्लांट को लगाने वाली कम्पनी के डायरेक्टर दीपक अग्रवाल दो टूक कहते हैं कि ऐसा अफसर उन्होंने पूरे देश में नहीं देखा मनीष सिंह ने अपनी काबिलियत जहां हर मोर्चे पर साबित की ,वही उनके बाद आये आशीष सिंह ने भी इंदौर को 2 बार स्वच्छता में नम्बर वन बनाया तो अब सलाम किया जाना चाहिए निगमायुक्त  प्रतिभा पाल को भी। यथा नाम- तथा गुण की कहावत उन्होंने पूरी तरह चरितार्थ की है.।यहाँ तक कि कोरोना काल की भीषण परिस्थितियों में भी बतौर निगमायुक्त वे सुबह से रात तक जुटी रहीं, जबकि उस दौरान वे प्रसव काल में थी।

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महज 12 घण्टे पहले तक मीटिंग में व्यस्त रहते उन्होंने बेटे को जन्म दिया था और मात्र 11 दिन बाद ही काम पर लौट आईं। नतीज़तन नगर निगम ने पांचवीं बार स्वच्छता का पंच मारा और फिर वॉटर प्लस में भी सफलता हासिल की तो अब छक्का लगाने की दौड़ में भी इंदौर पूरे देश में सबसे आगे है। किसी अन्य नौकरी की तुलना में निगम का काम अधिक चुनौतीपूर्ण है, खासकर इंदौर जैसे शहर में बावजूद इसके प्रतिभा पाल बिना किसी विवाद में आए निर्विकार तरीके से अपने काम में जुटी रहती है।

अधिक प्रचार-प्रसार का भी उन्हें शौक नहीं है। मगर मीडिया सहित अन्य फोरम पर पूरी जानकारी के साथ तथ्यात्मक बात रखती है ..बीते 25 सालों से शासन-प्रशासन और निगम के कामकाज को नजदीक से देखने-समझने के चलते मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूँ कि प्रतिभा पाल को भी नि:संदेह देश-प्रदेश की चंद काबिल महिला अफसरों की सूची में अग्रिम रखा जा सकता हैं।

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नगर निगम के खुर्राट अफसरों-कर्मचारियों से काम लेना आसान नहीं है मगर चूंकि आयुक्त खुद मैदान में डटी रहती है , एक-एक प्रोजेक्ट से लेकर समस्याओं पर उनकी पैनी निगाह रहती है और निर्णय भी फटाफट करती हैं, जिसके चलते अब हर कोई उनकी कार्यकुशलता का लोहा मानने लगा है नि:संदेह यह इंदौर का सौभाग्य है कि उसे मनीष सिंह के साथ इस तरह की काबिल महिला अफसर निगम आयुक्त के रूप में मिली जिसकी बदौलत आज इंदौर स्वच्छता की मिसाल बन गया।