राहुल गोरानी
लॉकडाउन के 3 महीने से ऊपर गुजर जाने के बाद सरकार को याद आता है की n95 वाल्व वाले मास्क किसी काम के नहीं है… अब बताओ इसे आपदा में अवसर ना कहें तो क्या कहें… पूरे लॉकडाउन में n95 मास्क की वकालत करने वाली सरकार एकदम से इसे कोरोना का कैरियर बता देती है… मैंने एक टीवी शो में देखा, जिसमें एक प्रसिद्ध एंकर n95 मस्क के नुकसान बता रहे थे… और मजे की बात यह है की वही टीवी एंकर आज से ठीक 2 महीने पहले इन्हीं मास्को को जीवन रक्षक बता रहे थे… इससे एक बात साफ हो चुकी है इस कहानी के पीछे कोई बड़ा झोल छुपा हुआ है… करोड़ों की आबादी वाले इस देश में लाखों लोगों ने फिल्टर वाले मास्क खरीदे थे… लेकिन अब सरकार की नींद खुली और उन्होंने कह दिया कि इससे कोरोना फैलता है अजीब मजाक है…. मने जो लोग पिछले दो ढाई महीने से n95 मास्क को अपना बॉडीगार्ड समझ रहे थे उसी बॉडीगार्ड ने उन्हें पटखनी दे दी है… देश में पहले ही लॉकडाउन के दौरान n95 मस्क की खूब कालाबाजारी हुई है… सभी जानते हैं की आपदा को अवसर में बदलने के लिए न जाने कैसी कैसी जगहों पर इन मास्को का निर्माण किया गया है… और अब एकदम से आंख खुलती है और इन मास्क को असुरक्षित बता देना किस बात की ओर इशारा कर रहा है यह आने वाले समय में पता चलेगा…अब मजे की बात बताता हूं देश की जनसंख्या लगभग 140 करोड़ है और मान लो इसमें से एक करोड़ लोगों ने भी अगर n95 मस्क इन 3 महीनों में दो या दो से ज्यादा बार खरीदा होगा जिसकी कीमत ₹100 से लेकर ढाई सौ रुपए तक है तो आप अनुमान लगा सकते हैं कितना पैसा तो यूं ही डूब गया… इसे ही सरल भाषा में आपदा में अवसर कहते हैं… टीवी चैनलों का समझाने का तरीका भी बड़ा उल्टा है… कह रहे हैं कि जो व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव होगा वह अगर यह मास्क पहनेगा तो वह दूसरों को संक्रमित करेगा… अब इसको पलटा करके समझो जो व्यक्ति इस प्रकार के मास्क पहना होगा बेचारा वह भी इन वॉल से संक्रमित हो जाएगा… बात बड़ी सीधी है n95 मस्क को बैन करना किसी नए प्रोडक्ट के बाजार में आने की आशंका जता रहा है… इसी को तो खून चूस के व्यापार करना कहते हैं… वैसे भी बीमारी के इस दौर में इंसानियत भी आपदा मे अवसर के सामान दिखाई दे रही है…