इन्दौर: नेता प्रतिपक्ष-श्रीमति फौजिया शेख अलीम ने बताया कि, भारतीय जनता पार्टी के दबाव में आकर अधिकारियों द्वारा नगर निगम का वित्तिय वर्ष 2021-22 का बजट शेष कर दिया। जबकि बजट में जनप्रतिनिधियों जैसे सासंद, विधायको और पूर्व पार्षदों एवं आम नागरिकों से बजट के संबंध में सुझाव प्राप्त करने थे ।
जब जनप्रतिनिधी कोरोना महामारी में पद पर नही होते हुए अधिकारीयो के साथ मिल कर जनता परेशानी को कम कर सकते है उनके लिए काम कर सकते है रात-दिन एक कर उनके लिए व्यवस्थाए दे सकते है तो बजट का हिस्सा क्यो नही बन सकते ? हमने अधिकारीयो के साथ मिल कर शहर की हर समस्या में अपना योगदान दिया है।
बजट शेष होने के बाद हमारे सुझाव लेने हेतु एक मिटिंग बुलाई जानी थी हमारे सुझाव बजट में जनता के हित निर्धारित करते । किन्तु कोरोना काल मे बिना किसी के चर्चा एवं सुझाव के वर्ष 2021-22 का बजट स्वीकृत कर किया गया। नगर निगम में आयुक्त के पद पर प्रतिभा पाल के द्वारा पदस्थापना किये जाने के बाद पहला बजट आज शेष किया गया इस बजट को नगर निगम के प्रशासक एवं संभाग आयुक्त डाॅ पवन कुमार शर्मा की अध्यक्षता में मंजुरी भी दे दी गई ।
इन्दौर में पिछले 5 साल की परिषद में कभी बजट समय पर नही आया। समय पर बजट आने से शहर हित के कार्य, विकास के कार्य एवं अन्य महत्वपूर्व कार्य में गति आ जाती के और समय अवधि में पुर्ण हो जाते है। इस वर्ष भी अधिकारीयो व्दारा लेटलतीफी की परम्परा़ को आगे बड़ाते हुए छठे माह में बजट पेष किया है। अब बचे हुए 6 माह में दिखावा करने के लिए इतना बड़ा 5162 हजार करोड़ का बजट शेष का दिया वह भी 80 करोड़ के घाटे में ।
नेता प्रतिपक्ष-श्रीमति फौजिया शेख अलीम ने बताया कि में 80 करोड के घाटे के बजट का विरोध करती हूॅ। इन्दौर शहर के हजारो लोग कोरोना की भेंट चड़ गए बच्चे अनात हो गए, घर विरान हो गए उनके दर्द को महसुस करके उन्हे राहत देने का प्रशासन ने सोचा भी नही दुसरे प्रदेशो में लाकॅडाउन की वजह से कर माफ किया जा सकता है तो इन्दौर के कारोबारीयो और व्यपारीयो का कर क्यो नही माफ किया गया है ?
कोरोना काल में प्रशासन द्वारा शहर में लाॅकडाउन लगाकर लोगों के काम धन्धे दुकाने आदि बंद करवा दी ऐसे में जनता का मार्च, अप्रेल, मई, जुन माह का सम्पति कर, जल कर, कचरा शुल्क एवं नगर निगम की स्वामित्वों की दुकानो का भी किराया चार माह का माफ किया जाता तो जनता के हित में होता । मेरे व्दारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जनता का कर माॅफ करने की मांग की गई है।
बहुत अफसोस की बात है कि शहर में नगर निगम के द्वारा किसी भी प्रकार के नये निर्माण कोई नया काम भी हाथ में लेने से परहेज किया गया । बजट में सारा फोकस पुराने कामों पर ही किया गया नगर निगम द्वारा बजट के माध्यम से पुराने कामों के लिए अधिक से अधिक पैसा उपलब्ध कराकर उन कामों को पुर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है । परन्तु 6 माह मे कार्य पूर्ण होने की कोई ग्यारंटी नही है।
पिछले साल भी कोरोना संक्रमण के बीच नगर निगम का बजट भारतीय जनता पार्टी के दबाव में प्रशासकों एवं अधिकारियों द्वारा बजट पेश किया गया था पिछले साल बजट में 4842 करोड़ की प्रस्तावित आय और 4763 करोड का खर्च बताते हुये 75 करोड घाटे का बजट शेष किया गया था पिछले साल कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के कारण पारित बजट खर्च नही हुआ ।
स्वच्छता के मामले में इन्दौर शहर चार सालों से लगातार चैका लगाकर नंबर 1 का खिताब जीतते के नाम पर कब तक खामियाजा भुगतेगी गरीब जनता कब तक जनता का पैसा स्वच्छता में लगाया जायेगा । कान्ह सरस्वती नदी की सफाई एवं ड्रेनेज लाईन एसटीपी में कब तक गरीब जनता का पैसा लगाकर गवाया जायेगा जबकि जहां-जहां एसटीपी सिवरेज का कार्य हुआ है वहां पिछले दो दिन के प्री-मानसुन से ही लोगों के घरों में सीवरेज का पानी भरने लगा है। यह शहर के अतिआवशयक कार्य है जो होना हि है पर स्वच्छता को प्राथमिकता देना गलत है।
स्मार्ट सीटी के नाम पर कब तक जनता को परेशान किया जायेगा शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के चक्कर में लोगों को घरों से बेघर किया, राजवाडे़ से गरीब दुकानदारों की दुकाने हटाई गई यही सभी पैसा गरीब जनता के आवास निर्माण योजना में एवं कोरोना काल में लाॅकडाउन मे कोरोना से पिड़ित जनता के हित में उपयोग होता तो अच्छा होता। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का बजट में 500 करोड़ का बताया जा रहा यह पैसा कहां जायेगा यह कोई नहीं जानता ।
कोरोना संक्रमण के चलते नगर निगम द्वारा गरीब जनता द्वारा मास्क नहीं लगाये जाने पर चालान काटे गये, दुकानदारों पर चालानी कार्यवाही की गई गरीब जनता के सब्जियों एवं फलफुट्स के ठेलो को लगाये जाने पर चालान काटे गये इस प्रकार से गरीब जनता के काटें गये चालानों के पैसों का कहां कैसे उपयोग किया निगम के बजट मे इसकी कोई खबर नही ।
इन्दौर नगर निगम के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत गरीब नागरिकों के लिये आवास का निर्माण किया जाना था इस समय शहर में 14000 मकानो का निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया था जिसके लिये 700 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है । आवास योजना में गरीबो के आवास का बजट हवाई महल की तरह है । यह बहुत ही निराशा जनक बजट है मैं इस बजट की निदां करती हुॅ और पुनः बजट में संषोधन करने की मांग करती हुॅ जिसमें बजट में जनता के हितो को कोई महत्व दिया जाए ।