इतनी जल्दी रिकवर कर रहा “मुंबई”, BMC अधिकारी ने बताई रणनीति

Rishabh
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देश में कोरोना की इस नई लहर से महाराष्ट्र सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ था और राज्य में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज राजधानी मुंबई से सामने आ रहे थे, बात अगर अप्रैल के शुरूआती दिनों की करे तो मुंबई में रोज़ाना 10000 से ज्यादा कोरोना मरीज सामने आ रहे थे, लेकिन सरकार के लिए कड़े नियमों और कानूनों के चलते मुंबई सबसे जल्दी रिकवर कर रहा है, और हालातों में भी काफी हद तक सुधार आया है।

बता दें कि पहले मुंबई में तकरीबन 11 हज़ार कोरोना केस निकल रहे थे वही अब 2 हजार मरीज सामने आ रहे है, लेकिन इस दूसरी लहर से अभी भी कई राज्य प्रभावित है, जिस कारण राज्य सरकार हर सफल प्रयास कर रही है। इस बीच मुंबई जोकि कोरोना की सबसे ज़्यादा मार झेल रहा था और अब मुंबई में प्रशासन की तैयारियों के कारण इस परिणाम ने सबका ध्यान अपनी और खींचा है।

मुंबई के इतनी जल्दी रिकवर करने को लेकर BMC के अतिरिक्त कमिश्नर सुरेश ककानी ने इस पुरे इंतजाम को बताया है जिससे यह संक्रमण काबू में आया है, कमिश्नर ने बताया है कि – “शॉपिंग मॉल, सब्जी मंडी, मछली बाजार जैसी ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर स्वाब कलेक्शन के लिए कियोस्क स्थापित किए गए थे, साथ ही बाजार में सामान खरीदने वाले लोगों की रैपिड एंटीजन जांच की गई, इससे नतीजे 15-30 मिनट में सामने आते थे और जरूरत पड़ने पर व्यक्ति को आइसोलेट किया जाता था।”

इतना ही नहीं आगे उन्होंने ये भी बताया कि – ‘दुकानदारों और खाद्य व्यापारियों के मामले में RT-PCR जांच का इस्तेमाल किया, इसके अलावा बीते साल अक्टूबर और फरवरी के बीच तैयार हुई अतिरिक्त क्वारंटीन सुविधाओं ने भी इस समय काफी मदद की।’ इस दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्ल्त और दवाइयों की कमी शहर में नही हुई इसके लिए उन्होंने बताया कि – ‘इस दौरान ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम को बढ़ाया गया था, साथ ही दूसरी लहर में बढ़ी मांग के साथ हम तैयार थे और मरीजों को आसानी से भर्ती कर पाए, इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर में भी बदलाव किए गए थे।’

रेमडेसिविर को पूर्ति का यह है राज-
आपने सुना ही होगा सबसे इस कोरोना की नई लहर में लोगो को रेमडेसिविर की ज्यादा जरुरत थी ऐसे में उन्होंने बताया कि – “हमने पहले ही रेमडेसिविर जैसी दवा की कमी का अनुमान लगा लिया था और 2 लाख वायल के लिए टेंडर जारी कर दिया था, इसके चलते किसी पब्लिक हॉस्पिटल में रेमडेसिविर की कमी नहीं हुई, और सभी बड़े अस्पतालों में 80 फीसदी बिस्तर कोविड मरीजों के लिए आरक्षित थे।”