‘मृगनयनी को यार नवल रसिया’, बाने-लट्ठमार होली से पुराने इन्दौर में देर रात तक मची होली की मस्ती

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नितिनमोहन शर्मा। मृगनयनी को यार नवल रसिया
मृगनयनी को..
बड़ी बड़ी अंखिया, नयन में सुरमा
तेरी टेडी चितवन, मेरे मन बसिया।।
अतलस को याके, लहंगा सोहे
प्यारी झुमक सारी, मेरे मन बसिया।।
छोटी अँगुरिन, मुंदरी सोहे
याके बीच आरसी मन बसिया।।
याके बांह बड़ो बाजूबंद सोहे
याके हियरे हार, दीपत छतिया।।
रंग महल में सेज बिछाई
याके लाल पलंग, पचरंग तकिया।।
पुरुषोत्तम प्रभु देख विवश भये
सबे छोड़ बृज में बसिया।।
मृगनयनी को यार नवल रसिया
मृगनयनी को…!!

बृज भूमि पर किसी कालखंड में कैसे रंग बरसें होंगे कि पूर्ण पुरुषोत्तम प्रभु गोवर्धनधर सबको छोड़कर बृज में ही बस गए। आज भी बृज भूमि उसी रंग को जीती है। अपने रंग रसिया के संग। आपकी हमारी होली कितने दिन की? एक, दो या तीन दिन की। लेकिन कुंवर कन्हाई की होली 40 दिन की होती हैं। इसलिए ये कहावत है जो रसिया के रूप में गए जाती है-
केसों ये खेल निगोरा
जगत होरी, बृज होरा
वाकई बृज में होली नही, होला ही होता हैं। बृजमण्डल में बसंत पंचमी से रंग गुलाल उड़ने लगती हैं। 40 दिवसीय रंग परंपरा का पूरी आस्था, उल्लास और शुद्धता के साथ पालन पुष्टि सम्प्रदाय में आज भी किया जाता हैं। जहां प्रभु को चोवा, चंदन, अबीर, गुलाल, केसर, टेसू आदि के संग 40 दिन तक लाड़ लड़ाए जाते हैं। अपने इष्ट संग सखा भाव से रंगों का ये खेल देखते ही बनता हैं। इन्दौर का प्राचीन देवस्थान श्री गोवर्धननाथ जी की मल्हारगंज स्थित हवेली इसकी साक्षी बनती हैं। यहां बुधवार को फूल डोल के संग होली का बड़ा उत्सव मनेगा।

मुहुर्त के फेर में होली के रंग हल्के जरूर हो गए लेकिन रंगों की खुमारी अब पूरे शहर पर सिर चढ़कर बोलने लगी हैं। शास्त्रों के नियम कायदों ने त्यौहार को दो हिस्सों में बाट जरूर दिया लेकिन रंगों की रंगत में कोई कमी नही आई। अनेक स्थानों पर होलिका को सुंदर सजाया संवारा गया। महिलाओं के पूजन के बाद होलिका दहन भी हुआ। सरकारी होली कही जाने वाली होलकरी होली राजबाड़ा शाम देवी अहिल्या जी के आंगन में प्रज्वलित हुई। यहां होलिका की लपटें मानो आसमान छूने को बेताब नजर आई। इसके साथ ही सेकड़ो स्थान पर होलिका दहन हुआ। आज मंगलवार को भी सेकड़ो स्थानों पर होलिका दहन होगा। शहर की मंगलवार की भोर से ये साफ हो गया कि इन्दौर में धुलेंडी बुधवार यानी 8 मार्च को मनाई जायेगीं। जहा होलिका दहन 6 मार्च को हुआ, वहां भी रंग 8 मार्च को ही खेला जाएगा।

पुराने इन्दौर में होली की मस्ती सोमबार शाम से ही सर चढकर बोलने लगीं। आगाज हुआ मल्हारगंज से। यहां जयदीप जैन के रंगारंग बाने ने ऐसा समा बांधा की शहर का एक बड़ा हिस्सा रंगों की खुमारी में डूब गया। रंगारंग बाने में हंसी ठिठोली के अनेक रंग थे। इसमे पीएम मोदी, सीएम योगी के प्रतीक आकर्षण का केंद्र थे जो हर आते जाते के साथ होली खेल रहे थे। जूनियर अमिताभ बच्चन और अयोध्या का नवनिर्मित राम मंदिर का मॉडल भी आकर्षण का केंद्र था।

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बड़ा गणपति से निकली ब्रज की लट्ठमार होली ने बड़ा गणपति से लेकर राजबाड़ा तक का हिस्सा ब्रजधाम बना दिया। प्रो डॉ सुमित त्रिवेदी की अगुवाई में निकली इस यात्रा में हूबहू बृज बरसाना का नजारा पैदा कर दिया। बड़ी संख्या में युवक युवतियां बृज की वेषभूषा में लट्ठमार होली खेलते चल रहे थे। हुरियारे बने युवाओं पर वैसे ही ताकत से लट्ठ बरसे, जैसे बरसाना में ग्वालिनें नंदगांव से होली खेलने वालों पर बरसाती हैं। शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक बृज की इस अनूठी होली ने बड़ा गणपति, टोरी कार्नर, गोरकुण्ड, खजूरी बाजार, राजबाड़ा तक होली का ज़ोरदार नज़ारा पेदा कर दिया।

आज शहर के दूसरे हिस्से में ऐसे ही रंग की मस्ती छाएगी। छावनी और जूनी इन्दौर इसका केंद्र बनेंगे। छावनी में मुरली मनोहर मन्दिर से चंग ढप के संग फाग यात्रा निकलेगी। जूनी इन्दौर के राधा गोविंद के बगीचे में भी होली के रंग फाग गीतों और सुंदर झांकियों के संग बरसेंगे। बड़े कटाउट्स के जरिये राधा कृष्ण की होली का चित्रण भी रहेगा।

इन्दौर को अब अपनी रंगपंचमी का बेसब्री से इंतजार है। क्योंकि होली के रंग दो हिस्सों में बट जाने से उत्साह चौगुना नही हो पाया। दूना ही रह गया। रंगपंचमी पर ऐसी कोई उलझन नही है। नतीजतन रंगारंग गेरो की तैयारियां अंतिम दौर में पहुच गई है। इस दिन लोधीपुरा और मल्हारगंज से फाग यात्राएं भी निकलेगी।