इंदौर। सांवेर में भाजपा के तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू के बीच कांटे की टक्कर है। दोनों ही दल अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं और बड़े नेताओं की बड़ी सभाएं भी आयोजित की जा चुकी है। चुनाव प्रचार अपने चरम पर है।
भाजपा द्वारा किए गए चुनावी सर्वे में भी ये सीट ‘फंसी हुई सीट’ की श्रेणी में आती है यानी जहां मुकाबला कठिन है और हार-जीत का अंतर कम रहेगा। ऐसे में भाजपा संगठन की निगाह एक-एक वोट पर है और सबसे बड़ी चुनौती तुलसीराम सिलावट से और भाजपा से नाराज़ ग्रामीणों को मनाने की है। इसलिए पार्टी ने अपने हाई प्रोफाइल नेताओं के बीच इंदौर सांसद शंकर लालवानी के दौरे का कार्यक्रम ऐसे क्षेत्रों में बनाया है जहां सालों तक कोई नेता नहीं पहुंचता और जहां सिलावट से या पार्टी से ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी है।
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी की सबसे बड़ी ताकत है उनकी सहजता, सरलता और आत्मीयता। आम तौर पर कैमरे और ग्लैमर से दूर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तर्ज़ पर शंकर लालवानी पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को निभाने में जुट जाते हैं।
इस चुनाव में भी सांसद लालवानी को उज्जैन और देवास ज़िलों की सीमा से लगे ऐसे गांवों की ज़िम्मेदारी दी गई जहां आम तौर पर बीजेपी का कोई वरिष्ठ नेता नहीं पहुंचता। शंकर लालवानी मृदुभाषी है और बहुत ही सहजता से ग्रामीणों से जुड़ जाते हैं। सामान्यतः राजनेताओं में पाया जाने वाला ‘विशेष’ होने का भाव उनमें नज़र नहीं आता, ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को ध्यान से सुनते हैं, ईमानदारी से उसे दूर करने का प्रयास करते हैं और सबसे बड़ी बात है कि दिल से संवाद करते हैं।
बुधवार को सांसद लालवानी खांडाखेड़ी, जमोदा, पनोड, चिमली जैसे इंदौर ज़िले के दूरस्थ गांवों में पहुंचे और भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए कार्यकर्ताओं की वापसी करवाई, कई कांग्रेसियों को भाजपा में ले आए और ग्रामीणों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के द्वारा किए गए कामों को गिनाकर वोट मांगे।
शंकर लालवानी भाजपा के उन नेताओं में से एक है जो इंदौर शहर से लेकर गांव तक लोकप्रिय है और इसीलिए वे सांवेर जैसी कठिन सीट पर भाजपा और तुलसीराम सिलावट के लिए अहम कड़ी साबित हो रहे हैं।
कांग्रेस के सामने मुश्किल ये है कि उसके पास बड़बोले नेता तो बहुत है लेकिन शंकर लालवानी की तरह दिल जीतने वाला और बिना शोर मचाए ग्राउंड पर जाकर अपनी पार्टी के लिए वोटों को सुनिश्चित करने वाला एक भी नेता नहीं है।