MP: यूपी से भी सख्त गैंगस्टर एक्ट लाएगी शिवराज सरकार

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भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अब अपराधों को लेकर सख्त हो रही है। उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश में भी गैंगस्टर एक्ट को लेकर कवायद तेज हो गई है। दरअसल, प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि जल्द ही मध्यप्रदेश में यूपी से भी ज्यादा सख्त गैंगस्टर एक्ट पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ‘हाल के दिनों में एमपी में जहरीली शराब से मौतों, शराब की अवैध बिक्री, अवैध खनन जैसे माफिया क्राइम तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में इनपर नकेल कसने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने गैंगस्टर एक्ट का मसौदा तैयार कर लिया गया है।’

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साथ ही गृहमंत्री ने बताया कि गैंगस्टर एक्ट अगले महीने कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट में पास होने के बाद आगामी विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जाएगा और अगर जरूरी हुआ तो सरकार अध्यादेश भी ला सकती है। नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ‘ये गैंगस्टर एक्ट यूपी में लागू हुए गुंडा एक्ट से ज्यादा सख्त होगा। गैंगस्टर एक्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि मध्यप्रदेश में शराब माफिया, खनन माफिया और हर तरह के माफियाओं को खत्म करना है।’

ऐसा है MP के गैंगस्टर एक्ट का मसौदा

– संगठित गिरोह और समाज विरोधी गतिविधियों को इस एक्ट में शामिल किया जाएगा।

– गैंगस्टर एक्ट में अवैध और जहरीली शराब के कारोबारी, गौ हत्यारे, अवैध खनन माफिया, भूमाफियाओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

– इस एक्ट में धारा 14 के तहत जिला मजिस्ट्रेट को अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करने का विशेष प्रावधान रहेगा।

– इस एक्ट में धारा 16 (5) के तहत अपराधी की जब्त संपत्ति को अपराध कार्य से अर्जित नहीं किया गया इस लिए सबूत का भार का दायित्व अभियोजन पक्ष पर ना होकर अपराधी पर नियंत किया गया है जिससे अपराधियों को संदेह का लाभ लेकर बचने की संभावना पर कठोर नियंत्रण होता है।

– इस एक्ट में धारा 5 के तहत स्पेशल कोर्ट बनाई जाएगी, जिससे सुनवाई और सजा जल्द हो सके।

– इस एक्ट में धारा 11 के तहत गवाहों को खास सुरक्षा दी जाएगी, जो गैंगस्टर के खिलाफ स्वतंत्र गवाह को कोर्ट के पेश होने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

– इस एक्ट में धारा 12 के तहत इस प्रकार गठित न्यायालय को अपराधियों पर चल रहे दूसरे न्यायालयों में विचारित केस के ऊपर प्राथमिकता मिलेगी, यह प्रावधान भी इस अधिनियम के अंतर्गत किया जाएगा, जिसका परिणाम अपराधियों के विचारण में अनावश्यक प्रक्रियात्मक देरी में कमी कर जल्द से जल्द न्याय होगा।

– इस एक्ट में धारा 19 ( 4 ) (ख) के तहत अपराधी को न्यायालय द्वारा जमानत पर तभी रिहा किया जायेगा। जब न्यायालय को यह युक्तियुक्त विश्वास हो जाते कि गिरफ्तार व्यक्ति अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहने के दौरान फिर से उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

– इस एक्ट में पुलिस रिमांड और न्यायिक रिमांड की सीमा बढ़ाई जा सकती है।

– इसके अलावा धारा 2 (b) (ii) में रेत और खनन गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही के लिए खान एवं खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1956 (वर्ष 1957 का अधिनियम संख्या 67) जोड़ा गया है।