बाबूलाल जैन उज्जैन व देवास जिले में सात चुनाव लड़े, तीन जीते. मंत्री भी रहे. 84 वर्षीय जैन दशहरा मैदान क्षेत्र में रहते हैं. भाजपा में मार्गदर्शक व डैडी के नाम से जाने जाते हैं. योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे है.
आठ साल से लगातार कैबिनेट मंत्री का दर्जा-
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद जैन ही एक मात्र ऐसे नेता हैं, जो लगातार आठ साल तक किसी न किसी ओहदे पर रहे. पहले उन्हें फरवरी 2008 में सामान्य निर्धन वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और जुलाई 2011 में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने. दोनों जगह उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहा.
अटलजी को खाना परोसा बदले में टिकट मिल गया-
1972 की बात हैं. अटलजी शहर आए थे। हुकुमचंद कछवाया के यहां भोजन कर रहे थे. मैं, जनसंघ का नगर मंत्री था. भोजन परोस रहा था. अटलजी भोजन कर रहे साथियों से चर्चा कर रहे थे कि उज्जैन उत्तर से किसे प्रत्याशी बनाए. मुझसे कहा- चुनाव लड़ोगे। मैं बोला सामने सीएम है। वे बोले- तो क्या? मैंने कहा जैसा आप तय करेगे. अगले दिन उन्होंने क्षीरसागर की सभा में प्रत्याशी के रूप में मेरे नाम की घोषणा कर दी। 15119 मतों से प्रकाशचंद्र सेठी से चुनाव हारा था। 26 जून 1975 में आपातकाल लगते ही कलेक्टर के पास फोन आया कि जैन व उनके साथियों को गिरफ्तार किया ना.
इस तरह किया चुनाव प्रचार
विपरीत परिस्थितियों में चुनाव लड़े. माइक वाले को एक चुनाव का पैसा दूसरे चुनाव में देते हैं. माधव कॉलेज के पास दुकान से 15 साइकिल किराए से लेकर प्रचार करने जाते थे, पैसे कई दिनों में दे पाते थे. छत्रीचौक में सभा करते थे तो मुल्लाजी से लाइट कनेक्शन लेते थे, सभा में देररात हो जाती थी तो दुकानदार को जागना पड़ता था. 1952 में जनसंघ की स्थापना के बाद पहली बैठक उज्जैन में हुई तो मुझे टाट पट्टी बिछाने की जिम्मेदारी मिली थी. आज की पीढ़ी व कार्यकर्ताओं से ये उम्मीद करना चुनौती लगता है.