‘कमल’ पर बरसे ‘नाथ’, कहा- आज अन्नदाता सांप-बिच्छू-कुकुरमुत्ता क्यों नज़र आ रहा ?

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भोपाल : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन काले किसान विरोधी कृषि कानूनों के समर्थन में मध्य प्रदेश की भाजपा द्वारा सरकार द्वारा चलाए जा रहे जन जागरण अभियान ,किसान चौपाल , किसान सम्मेलनों पर पलटवार करते हुए कहा कि जब एक तरफ़ पूरे देश का किसान सड़कों पर आकर इन काले कानूनों का खुलकर विरोध कर रहा है , देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 19 दिन से सड़कों पर , कड़ाके की ठंड पर बैठकर आंदोलन कर रहा है , सभी जानते है कि यह काले कानून किसानों से बगैर सहमति के ,बगैर चर्चा के ,बगैर मत विभाजन के, बगैर विपक्षी दलो से चर्चा किये, तानाशाह तरीके से कोरोना काल में थोपे गए हैं , वहीं दूसरी किसानो के समर्थन में खड़े होने की बजाय बेहद शर्मनाक है कि खुद को सच्चा किसान हितेषी बताने वाली मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार इन काले कानूनों के समर्थन में जन जागरण अभियान , किसान चौपाल व किसान सम्मेलन आयोजित कर रही है ?
-आखिर भाजपा को किसानों को मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी से इतनी परेशानी क्यों , दिक्कत क्यों ?
-आख़िर एमएससी ख़त्म करने वाले इन क़ानूनों का मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार समर्थन क्यों कर रही है ?
-आख़िर क्यों वह एमएसपी को खत्म करना चाहती है ?
-आख़िर क्यों वह वर्तमान मंडी व्यवस्था को खत्म करना चाहती है ?
-क्यों वह जमाखोरी-मुनाफाखोरी को बढ़ावा देना चाहती है ?
-क्यों वह किसानों को बर्बाद करना चाहती है ?
-क्यों वह किसानों को बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों का ग़ुलाम व शिकार बनाना चाहती है ?
-क्यों वह किसान व खेती को बर्बाद करना चाहती है ?

नाथ ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाले आज किसान को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हुए है और बड़ी शर्म की बात है कि किसान विरोधी इन तीन काले कानूनों का विरोध करने की बजाय भाजपा इसका खुलकर समर्थन कर रही है ?हमारी सरकार द्वारा शुरू की गयी किसान क़र्ज़ माफ़ी योजना को इन्होंने पाप बताकर रोक दिया है , ये पूरी तरह से किसान विरोधी है।

तमाम ज़िम्मेदार भाजपा नेता रोज़ बयानबाजियाँ कर किसानो व किसान संगठनों को कभी दलाल ,देशद्रोही ,सांप ,बिच्छू ,नेवला ,कुकुरमुत्ता की खुलेआम संज्ञा दे रहे है और ज़िम्मेदार मौन है ? किसानों के आंदोलनों को कभी वामपंथियों का, कभी नक्सलवादियों का, कभी पाकिस्तानियों का, कभी चीनियों का, कभी ख़ालिस्तानियो का आंदोलन बताने पर तुले हुए है ?
-आखिर किसानो के इस शांतिपूर्ण आंदोलन को भाजपा सरकार किसानों का आंदोलन क्यों नहीं मान रही है ?
-क्यों हठधर्मिता अपना रही है , अड़ियल रवैया छोड़कर क्यों इन काले कानूनों को रद्द नहीं कर रही है ?
-सड़कों पर उतरकर अपना हक मांग रहे किसानों की जायज मांगों पर निर्णय क्यों नहीं ले रही है ?
-आखिर भाजपा देश को किस दिशा में ले जा रही है ?
-तानाशाही, हिटलर शाही तरीक़े से लागू इन काले कानूनों को किसानोपर क्यों ज़बर्दस्ती थोपना चाह रही है ?
-देश का अन्नदाता आज अपने हक की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में सड़कों पर है, न्याय की गुहार लगा रहा है लेकिन सरकार गूंगी-बहरी बनकर उसका दमन करने पर आख़िर क्यों उतारू है ?
देश का अन्नदाता व आमजन यह सब खुली आँखों से देख रहा है।