भोपाल। बिना किसानों की मंशा के कार्पोरेट कम्पनियों के इशारे पर बनाये गये कृषि कानूनों ने छोटे-छोटे किसानों पर कहर ढाना शुरू कर दिया है। पहला मामला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के पड़ोसी जिले होशंगाबाद से सामने आया है, जहाँ एक व्यापारी 70 लाख रूपये की फसल ले भागा।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बताया कि कृषि उपज मंडी समितियों को दरकिनार कर खुले बाजार में खाद्यान बेचने के दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं। सिर्फ पेन कार्ड के सहारे करोड़ों की फसल खरीदने के लिये फर्जी व्यापारी गांवों में घुस गये है। होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के ग्राम नंदरवाड़ा में 60 से अधिक किसानों से धान, मूंग, मक्का आदि खरीदकर एक व्यापारी बिना भुगतान किये गायब हो गया। कांग्रेस नेता सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रदेश के एक करोड़ से अधिक छोटे-छोटे किसानों के हित में तीनों काले कानून मध्यप्रदेश में लागू नहीं किये जाये। कृषि उपज मंडियों के मार्फत ही व्यापारी सौदा कर किसानों के हितों की रक्षा करें।
राज्य सभा सांसद सिंह ने एक अन्य काले कृषि कानून के संबंध में बताया कि होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील में एक राईस कम्पनी ने पहले तो बीज देकर किसानों से बिना कानूनी अनुबंध किये अच्छी कीमत में धान खरीदने के सब्जबाग दिखाये। जब किसानों ने धान पैदा कर ली तो बढ़ी कीमतों पर बिना बोनस दिये धान खरीदने की कोशिश की। इस मामले में वरिष्ठ नेता पुष्पराज सिंह की शिकायत के बाद एस.डी.एम. ने हस्तक्षेप कर कम्पनी को धान खरीदने के निर्देश दिये।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की आड़ लेकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और बड़े कार्पोरेट घरानों के लिये रेड कारपेट बिछाने का षड़यंत्र कर रही है। जिससे देश के 15 करोड़ किसान शोषण का और 90 करोड़ गरीब लोग महगांई का शिकार बनेंगे। केन्द्र सरकार को अपनी जिद छोड़कर तीनों कानून वापस लेकर किसानों को एम.एस.पी. देने का कानून बनाना चाहिये।
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पूर्व मुख्यमंत्री, म.प्र.