देशभर में कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रहा है. हर दिन देशभर में कोरोना के रिकॉर्ड तोड़ मामले सामने आ रहे हैं. वहीं मध्यप्रदेश में भी संक्रमण तेज होता जा रहा है. बढ़ते संक्रमित मामलो को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को एक पत्र लिखा है. जिसमें कोरोना से निपटने के सुझाव के साथ उन्होंने भारी चिंता भी जताई है.
उन्होंने पत्र में लिखा है कि मध्यप्रदेश में कोविड महामारी के अनियंत्रित होने और संक्रमण दर लगातार 20 प्रतिशत से अधिक बने रहना चिंता का विषय है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में प्रतिदिन 12000 से अधिक नये संक्रमित मिल रहे है जबकि वास्तव में इनकी संख्या कई गुना अधिक है क्योंकि पर्याप्त संख्या में टेस्टिंग नही होने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण के बढ़ने से वास्तविक स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल है। मुझे जानकारी मिल रही है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है। ग्रामीणों में भय का वातावरण व्याप्त है और अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और आवश्यक दवाइयाँ उपलब्ध नही होने से लोग मजबूरी में बिना किसी उचित उपचार के घरों में ही इस महामारी का सामना कर रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिदिन आ रही मौत की खबरें बहुत ही भयावह है और इससे निकट भविष्य की भयंकर स्थितियों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैल रही महामारी पर नियंत्रण के लिये मेरे कुछ सुझाव है जिन पर विचार करने और उचित निर्णय लेने के लिये मैं आपसे अनुरोध करता हूँ :-
ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण पर नियंत्रण एवं त्वरित उपचार के लिये प्रत्येक जिले में ग्राम पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य समितियों का गठन किया जाना चाहिए जिनमें पंचायत सचिव, स्थानीय शिक्षक, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि को शामिल किया जा सकता है। इन समितियों के माध्यम से गॉंव में कोविड से बचाव एवं टीकाकरण के लिये जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाने चाहिए। यह समिति शासन द्वारा तय दिशानिर्देशों के अनुसार गॉंव के लोगों के स्वास्थ्य की प्रतिदिन की स्थिति को दर्ज करे। रोगियों के उपचार के लिये उनकी मदद करे तथा जिला स्तर पर इसकी नियमित जानकारी दे।
यह अच्छा होगा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग को बढ़ावा दे, लेकिन जो लोग बीमार है और जिन्हें कोविड के मामूली लक्षण भी है उन्हें टेस्ट रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा किये बगैर उनका तत्काल उपचार शुरू कर दिया जाना चाहिए ताकि बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सके। इसके लिये राज्य सरकार को एक प्रोटोकॉल तय करके डाक्टरों की राय अनुसार प्रत्येक पंचायत में आवश्यक दवाइयों के किट/पैकेट उचित निर्देशों सहित पहले से ही समुचित मात्रा में उपलब्ध कराना चाहिए ताकि जरूरत होने पर पंचायत स्तर पर ही रोगी व्यक्ति को तत्काल उचित दवाइयाँ उपलब्ध कराई जा सके। स्वास्थ्य निगरानी समितियों के पास समुचित मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर भी उपलब्ध कराये जाने चाहिये ताकि गंभीर मरीजों का स्थानीय स्तर पर ही पता लगाकर उन्हे समय रहते अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।
राज्य सरकार चाहे तो कलेक्टर के माध्यम से ग्राम पंचायतों को दवाइयों के किट उपलब्ध कराने के लिये सांसदों और विधायकों की स्वेच्छानुदान निधि का उपयोग करने की छूट दे सकती है। इससे जनप्रतिनिधियों की स्वेच्छानुदान राशि का उपयोग नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी की रोकथाम और उपचार के लिये किया जा सकता है। मेरी इस संबन्ध में डॉक्टरों से चर्चा हुई है।
मुझे बताया गया है कि कोविड के उपचार के लिये 7-8 प्रकार की दवाइयों के पेकेट की अनुमानित कीमत लगभग 1000-1200 रूपये है। बीमारी की प्रारंभिक स्थिति में लोगों को ये दवाइयाँ मिलने पर उनके जीवन को बचाया जा सकता है। सांसदों और विधायकों द्वारा अपनी स्वेच्छानुदान निधि से क्रय की गई दवाइयों के पैकेट उनके प्रतिनिधियों द्वारा नगरीय क्षेत्रों में नगरपालिका अधिकारी की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत सचिव की निगरानी में जरूरतमंदों को वितरित किये जा सकते है।
ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के अनेक सदस्य एकसाथ बीमार पड़ रहे है क्योंकि अधिकांश घरों में रोगी व्यक्ति को आइसोलेट करने के लिये कक्ष या संसाधन उपलब्ध नही है। ऐसी स्थिति में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और पूरे परिवार को अपने शिकंजे में ले रहा है। इस स्थिति से निपटने और परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित होने से बचाने के लिये गाॅव में स्कूल या पंचायत भवन को कोविड केअर सेंटर के रूप में तैयार किया जाना चाहिए जहां रोगियों को स्वस्थ लोगों से पृथक भी रखा जा सके और उनके उपचार एवं खाने-पीने की पंचायत स्तर पर अच्छी व्यवस्थाएं की जा सके। इसके लिये सामाजिक संस्थाओं और एन.जी.ओ. की मदद भी ली जा सकती है।
मेरा आपसे अनुरोध है कि उक्त सुझावों पर विचार करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों तेजी से बढ़ रही महामारी पर रोकथाम के लिये तत्काल आवश्यक कदम उठाने का कष्ट करें। यदि हमनें ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर शीघ्र कोई ठोस कदम नही उठाया तो स्थितियाँ हम सबके नियंत्रण से बाहर हो जाएगी।