इंदौर : उप चुनाव में जिन सीटों पर कांटा जोड़ मुकाबला है उनमे इंदौर जिले की सांवेर सीट भी शामिल है। इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजरे जमी हुई है मंत्री तुलसीराम सिलावट के कारण सीधे तौर पर इस सीट से प्रतिष्ठा ज्योतिरादित्य सिंधिया की जुड़ी है। वही प्रेमचंद गुड्ड को टिकट देने के बाद कमलनाथ के सामने जीत की चुनौती है। बहरहाल इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला था ऐसे में बसपा ने मैदान में आकर दोनों दलों की रणनीति को बिगाड़ने का काम कर दिया। बसपा की आमद का तनाव अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि भाजपा के वरिष्ठ नेता जगमोहन वर्मा ने पार्टी से नाता तोड़ लिया। वर्मा ने शिवसेना के बैनर पर चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया है। कांटा जोड़ मुकाबले में फंसी सांवेर सीट पर एक एक वोट की जद्दोजहद जारी है। ऐसे में बसपा और शिवसेना की मौजूदगी कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए खतरा बन सकते है। क्यों कि इनके द्वारा काटे गए वोट परिणाम को उलट भी सकते है।
वर्मा को मनाने के नहीं किए प्रयास
कभी प्रकाश सोनकर के अभिन्न साथी रहे जगमोहन वर्मा पार्टी में हो रही अपनी उपेक्षा से नाराज थे। युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष से लेकर भाजपा अनुसूचित जाती मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारणी तक का हिस्सा रहे वर्मा स्व सोनकर के खास सिपहसालार रहे है। सांवेर में ही उनकी ज्यादा सक्रियता रही है लिहाजा स्थानीय संगठन के सामने अपना वजूद दिखाने का यह मौका उन्हें ज्यादा मुफिद लगा। उम्मीद थी कि पार्टी नेता उन्हें मना कर रोक लेंगे मगर किसी ने भी उनसे चर्चा नहीं की। यह बात उन्हें और ज्यादा चुभ गई और उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि वे शिवसेना में शामिल हो रहे है और उसी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। वर्मा ने पार्टी संगठन द्वारा की जा रही उपेक्षा की बात स्वीकार की साथ ही इंदौर में मजदूरों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को अपनी नाराजी की असल वजह बताया।
हाथी की हलचल भी हुई शुरू
बसपा ने सांवेर से पूर्व एसडीएम विक्रमसिंह गेहलोत को मैदान में उतारा है। शुरूआत में तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ने उनकी आमद को गंभीरता से नहीं लिया मगर अब हाथी की हलचल नजर आने लगी है। इस हलचल ने सिलावट और गुड्डू दोनों का तनाव बढ़ा दिया। बसपा प्रत्याशी गेहलोत के साथ जाटव समाज खड़ा है जिसकी तादाद सांवेर में अच्छी खासी है। सांवेर के विभिन्न गांवों में बसपा की बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इन बैठकों का असर ही है कि क्षेत्र में बसपा के झंडे भी नजर आने लगे है। गेहलोत वैसे तो दांवा सर्व समाज को साथ लेने का कर रहे है पर उनका ज्यादा फोकस जाटव समाज के उपर ही है और यहीं कारण है कि समाज के युवाओं की टीम ज्यादा सक्रिय है।