उज्जैन : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल ने बताया कि एक अगस्त से 7 अगस्त के दौरान विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन वैश्वित स्तर पर किया जा रहा है। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का मुख्य थीम “Protect Breastfeeding, Shared Responsibility” है। उक्त थीम अन्तर्गत विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान के दौरान समस्त संस्थागत प्रसव केन्द्रों में जन्म के एक घंटे के भीतर शीघ्र स्तनपान सुनिश्चित किये जाने हेतु संवेदीकरण गतिविधियां आयोजित किया जाना है।
यह साक्ष्य आधारित है कि शिशु बाल आहारपूर्ति व्यवहारों यथा- जन्म के एक घण्टे के भीतर शीघ्र स्तनपान, छह माह तक केवल स्तनपान, छह माह उपरांत स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार एवं कम से कम दो वर्ष की उम्र तक स्तनपान जारी रखने से शिशु मृत्यु दर में 22 प्रतिशत तक कमी संभव है। यह शिशु स्वास्थ्य संबंधी एक ऐसी गतिविधि है, जिसमें सामुदायिक जागरूकता से ही समुदाय में व्यवहार परिवर्तन संभव है।
विश्व स्तनपान सप्ताह के अन्तर्गत सामुदायिक जागरूकता एवं सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये यह बताना आवश्यक है कि मां का प्रथम दूध अमृत के समान है, हमें आज यह शपथ लेना है कि हम स्वयं अपने परिवार में कोई भी प्रसव होने पर एक घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान अवश्य करवायेंगे। साथ ही अपने परिचित एवं संबंधियों को इस संदेश को पहुचायेंगे। प्रथम छह माह तक केवल मां का दूध ही बच्चे के लिये पर्याप्त है, उसे कुछ ऊपर से नहीं देना है जैसे- शहद, घुट्टी, चाय आदि।
छह माह बाद चूंकि बच्चे को शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिये अधिक पोषण आहार की आवश्यकता होती है। अतः उसे मां के दूध के साथ-साथ अतिरिक्त पोषण आहार भी देना है। लगभग दो वर्ष बच्चों को मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिये। मां का दूध बच्चे के लिये अमृत के समान होता है। वह बच्चे को एजर्ली, दमा, दस्तरोग सहित अनेक बीमारियों से बचाता है। मां के दूध के अन्दर उपलब्ध तत्वों द्वारा बीमारियों से बच्चे की रक्षा भी की जाती है।