चाणक्य नीति के मुताबिक, मनुष्य जाने-अनजाने में कई ऐसी गलतियां कर बैठता है, जिससे धन की देवी मां लक्ष्मी क्रोधित होकर व्यक्ति के घर से चली जाती हैं. नतीजन लोगों को रूपए -पैसे की हानि या क्षति होने लगती है. आर्थिक रूप से व्यक्ति कंगाल हो जाता है. और हर प्रकार के भौतिक सुखों के लिए परेशान होने लगता हैं.
आचार्य चाणक्य की नीति को भारत का सबसे महान विद्वान, अर्थशास्त्री और पथप्रदर्शक कहा जाता है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में धन, संपत्ति और समृद्धि को लेकर कई आवश्यक बातों का उल्लेख किया है. चाणक्य की नीति के मुताबिक, व्यक्ति जाने-अनजाने कई ऐसी गलतियां कर बैठता है, जिससे धन की देवी मां लक्ष्मी रुष्ट होकर घर से चली जाती हैं. जिसके चलते लोगों को रूपए-पैसे का नुकसान होने लगता है. आर्थिक दृष्टि से व्यक्ति कंगाल हो जाता है. लाख प्रयासों के बावजूद धन-संपत्ति का अभाव रहता है. तो चलिए आज हम आपको उन समस्त गलतियों के बारे में बताते हैं, जिनका उल्लेख चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में किया है.
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फिज़ूल खर्ची
चाणक्य नीति के अनुसार, बेवजह की चीजों पर फालतू पैसा खर्च करने वालों या दिखावा करने वालों को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद कभी नहीं मिलता है. ऐसे लोगों पर जब आर्थिक खतरा आता है तो उन्हें लंबे वक्त तक चैन नहीं पड़ता हैं. चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोग खुद अपनी बर्बादी का मार्ग खोलते हैं. इंसान को सदैव सही स्थान पर ही पैसा खर्च करना चाहिए.
रसोई गैस पर जूठे बर्तन
चाणक्य नीति के मुताबिक, रसोई गैस पर भूलकर भी कभी झूठे बर्तन नहीं रखने चाहिए. चूल्हे के ऊपर या आस- पड़ोस जूठे बर्तन रखने से भी मां लक्ष्मी क्रोधित हो जाती हैं. इससे घर की सुख-शांति पर बुरा प्रभाव पड़ता है. मान-सम्मान में कमी आने लगती है और घर में दरिद्रता का वास होता है. मां लक्ष्मी के घर से चले जाने का अर्थ है कि फाइनेंसियल स्तर पर आपका ख़राब वक्त शीघ्र ही शुरू होने वाला है.
संध्यावन्दन के समय झाड़ू
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता हैं की संध्या के समय जब सूर्य अस्त हो जाए उसके बाद घर में झाड़ू लगाने से भी माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. चाणक्य कहते हैं कि संध्या के समय घर में झाड़ू-पोंछा कभी नहीं करना चाहिए. असल में झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इसलिए संध्या के वक्त झाड़ू लगाने से बचें. यदि किसी कारणवश सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू लगानी पड़ भी जाए तो एकत्रित किया गया कूड़ा-करकट तुरंत बाहर न निकालें. उसे अगले दिन सूर्योदय के बाद ही घर से बाहर निकालें.
दुर्व्यवहार व्यवहार या गलत आचरण
चाणक्य के मुताबिक, जो व्यक्ति बुजुर्ग, विद्वान, स्त्रियों या गरीबों को परेशान करते हैं. उनका तिरस्कार करते हैं. मां लक्ष्मी की कृपा उन पर कभी नहीं होती है. दूसरों के साथ बुरा बर्ताव करने वालों से मां लक्ष्मी हमेशा रुष्ट रहती हैं. इसके अतिरिक्त, जो लोग माता-पिता तुल्य या शिक्षक के साथ अनुचित बोली में बात करतें हैं, उन्हें भी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद कभी नहीं मिलता है. देवी की अनुंकपा का असर समाप्त होते ही ये लोग पाई-पाई के लिए तरसने लगते हैं.
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