उत्तर प्रदेश में कोरोना के कारण 20 से अधिक पत्रकारों ने दम तोड़ा

Rishabh
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मेरी बुआ जी के तीसरे पुत्र सुभाष मिश्रा जिन्हें हम घर में अब्बू कह कर पुकारते थे, ने आज भोर करीब 2:30 बजे पीजीआई लखनऊ मैं अंतिम सांस ली। कोरोना की वजह से उन्हें भर्ती कराया गया था। चित्र में दूसरी तस्वीर वरिष्ठ पत्रकार तविषी श्रीवास्तव की है। सुभाष टाइम्स ऑफ इंडिया लखनऊ में एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में कार्यरत थे। अजीब संयोग है कि दोनों कोरोना के शिकार हुए।

दूसरी लहर में लखनऊ के 20 से अधिक पत्रकार साथी ऐसे चले गए। मगर सरकार का ध्यान अब तक नहीं गया। यूपी में पत्रकारों के सेवानिवृत्त अथवा एकाएक मृत्यु होने की दशा में किसी भी प्रकार पेंशन का प्रावधान नहीं है जबकि छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में 10 से ₹ 15 हजार रुपए प्रति माह पेंशन का प्रावधान है। सीएम योगी आदित्यनाथ एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल जी यदि ऐसा करवा देते हैं तो पत्रकार बिरादरी उन्हें भी स्मृति शेष हेमवती नंदन बहुगुणा की तरह याद रखेगी। उनके जमाने में लखनऊ के पत्रकारों को सरकारी आवास देने का प्रावधान हुआ था।

अभी भी अनेक पत्रकार कोविड-19 से जूझ रहे हैं जिनमें कई वरिष्ठतम पत्रकार भी है। मैं करीब तीन दशक तक लखनऊ के टाइम्स ऑफ इंडिया समूह में विभिन्न पदों पर कार्य करता रहा और कल ही पूर्व सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट जी से इन दो विषय पर बातचीत हुई थी। योगी जी एवं सहगल जी की गिनती भले आदमियों में होती है तो मैं उनसे आशा करता हूं कि कॉविड काल में पत्रकारों कि जीवन सुरक्षा के साथ ही पेंशन आदि जैसे गंभीर विषय पर निर्णय लें। पुनः अपने भाई तथा पत्रकार साथी सुभाष मिश्र को विनम्र श्रद्धांजलि।