नई दिल्ली: पेट्रोल पंप पर गाड़ी में पेट्रोल डलवाते समय कई बार आपको पेट्रोल कम दिया जाता है। पेट्रोल पंप संचालक चिप लगाकर पेट्रोल चोरी करते है। ऐसे मामलों को देखते हुए अब मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाए है। अब यदि किसी ने तेल की चोरी की तो उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है।
पिछले कई दिनों से उपभोक्ताओं को हर रोज कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ग्राहक कम पेट्रोल और डीजल की शिकायतों को लेकर परेशान रहते हैं, लेकिन अब नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत पेट्रोल पंप संचालक उपभोक्ता को ठग नहीं सकते। अब पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल मानक के अनुसार मिलेंगे।
20 जुलाई को नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू हो जाने के बाद पेट्रोल पंप संचालकों पर नकेल कसना शुरू हो जाएगा। अगर ग्राहक शिकायत करते हैं तो पेट्रोल पंप पर जुर्माना के साथ उसका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है।
देश में तेल के चोरी का खेल छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों और गांवों तक फैला है। पेट्रोल पंप संचालक कई तरह से उपभोक्ताओं को चूना लगाते हैं। आम आदमी की गाढ़ी कमाई को पेट्रोल पंप के मालिक कई तरह से चूसते हैं। आम आदमी अक्सर पेट्रोल-डीजल लीटर से नहीं बल्कि रुपये से भरवाते हैं। फिक्स रुपये जैसे 100 रुपये, 500 रुपये या 2000 हजार का तेल देने के लिए कहते हैं। ग्राहक को पता नहीं होता है कि इस फिक्स रुपये पर बोलने पर पहले से ही पेट्रोल पंप संचालकों के द्वारा चीप लगाकर लीटर घटा दिया जाता है। इससे ग्राहक ठगे जाते हैं।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की कुछ और महत्वपूर्ण विशेषताएं
- पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी. पहले के कानून में ऐसा नहीं था।
- नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है।
- खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान।
- कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन. दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे।
- कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपये तक के केस।
स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये। - नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर केसों की सुनवाई।
- कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत।
- सिनेमा हॉल में खाने-पीने की वस्तुओं पर ज्यादा पैसे लेने वालों की अगर मिलती है शिकायत तो होगी कार्रवाई।