क्या धरती का बिगड़ता पर्यावरण मानव सभ्यता को समाप्त कर देगा?

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By Suruchi ChircteyPublished On: June 2, 2023

अर्जुन राठौर

विश्व का बिगड़ता पर्यावरण हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है वर्ष 2023 मैं प्रकृति ने हमारे सामने कई चुनौतियां खड़ी की है मामला चाहे अमेरिका में आए बर्फीले तूफान का या फिर विश्व के अन्य देशों में भारी बारिश, बाढ़ से बिगड़ते हालात सभी दूर तबाही की घंटी सुनाई दे रही है यदि समय रहते पर्यावरण को लेकर जागरूकता नहीं आई तो इसमें कोई दो मत नहीं होगी हमारा जीवन और भी अधिक कठिन होता चला जाएगा। हमारे वैज्ञानिकों के अनुसार विश्व भर में मौसम की बदलती चुनौतियों का सामना हो रहा है जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है, जिसमें मौसम पैटर्न में बदलाव, तापमान की वृद्धि, अनियमित वर्षा पैटर्न, बढ़ती गर्मी और ग्लेशियरों के पिघलाव की समस्या शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप बाढ़, सूखे, तूफान, तटीय उच्च जलस्तर, वनों में परिवर्तन आदि देखे जा रहे हैं।

वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा के कारण जमीन का तापमान बढ़ रहा है। यह ग्लोबल वॉर्मिंग के रूप में जाना जाता है, जिससे तापमान बढ़ने के साथ जीवन जीने के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में अनियमित वर्षा पैटर्न का सामना हो रहा है, जिसमें लंबी शुष्क अवधि के बाद बाढ़ या भारी बारिश के साथ ही बारिश की अवधि का बढ़ना भी शामिल है, इससे तटीय इलाकों में जलाशयों के जलस्तर की वृद्धि हो रही है। इसके परिणामस्वरूप जल बांधों और प्राकृतिक जलस्रोतों की बाधाएं बढ़ सकती हैं ।

तापमान में वृद्धि के कारण तूफानों और चक्रवातों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इन तूफानों की संख्या और तापमान में वृद्धि के कारण, उनके प्रभाव आंतरिक क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं। तूफान, आपदाएं, तटीय जीवन की हानि का कारण बन रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघलने का खतरा खड़ा हो गया है और इस वजह से विश्व के कई समुद्र तटीय शहरों के डूब जाने की चेतावनी भी सामने आ रही है । इसीलिए बढ़ते तापमान के कारण जीवन की गुणवत्ता और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं।

जल संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन को महत्व देने के लिए जल संरक्षण कार्यक्रमों अधिक मुस्तैदी से लागू करने की जरूरत है इसमें वर्षा जल को संग्रहित करने, नदी और झीलों के जलस्तर को बनाए रखने, पृथक्करण और जल संरचनाएं विकसित करने जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के साथ मौसमी परिवर्तन के कारण, सतत ऊर्जा उत्पादन के लिए विभिन्न संगठन और देशों द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। यह सौर ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा जैसे स्वच्छ और अविरल स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करता है।

अधिकतर देश और संगठन वन संरक्षण, जीव जंतु संरक्षण, बाढ़ संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रहे हैं। इसमें वन संगठन द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम, जल संरक्षण के लिए जलस्रोतों की संरक्षा, जीव-जंतु संरक्षण के लिए संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना और प्राकृतिक संसाधनों के बहाली के लिए प्रयास शामिल हैं। बढ़ते मौसमी परिवर्तन के साथ दुनिया भर में सामरिक बदलाव करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे कि नए आधारभूत ढांचे, जलवायु न्याय और ऊर्जा के संप्रबंधन के लिए संगठनों और सरकारों के नीतिगत कदम ।तापमान के परिवर्तन के कारण सामरिक तटीय इलाकों में आपदाएं बढ़ सकती हैं इसलिए, तटीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के लिए नई योजनाएं विकसित की जा रही हैं

तटीय इलाकों में आपदा प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकी उपकरणों का उपयोग, विशेष रूप से सतत सूचना प्रणालियों और तटीय सतर्कता प्रणालियों का विकास, सामरिक निगरानी और पूर्वानुमान, तटीय सुरक्षा प्रशिक्षण, जनसंचार योजनाएं, आपदा प्रतिक्रिया टीमों का गठन, और आपदा क्षेत्र में सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग की योजनाएं शामिल हैं। मौसमी बदलाव के प्रति जनसंचार महत्वपूर्ण है। लोगों को मौसमी आपदाओं, बाढ़, तूफान, बर्फबारी, गर्मी के जोखिम आदि के बारे में जागरूक बनाने के लिए जनसंचार कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए ।

इसमें जनसंचार माध्यमों, सोशल मीडिया, स्थानीय समुदायों का सहयोग, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं वृद्धि को प्रबंधित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें समुद्री तटीय क्षेत्रों में प्रभावी प्रबंधन योजनाओं का विकास, समुद्री तटीय अवकाश और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन, कोई भी नया निर्माण कार्य प्रदूषण और जल संशोधन के प्रभाव का मूल्यांकन, और समुद्री जीवन के संरक्षण के लिए कार्यक्रमों की योजना शामिल हो सकती हैं।

मौसमी परिवर्तन के प्रभावों के कारण खाद्य सुरक्षा को लेकर चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जल संचयन, बागवानी तकनीक, सिंचाई प्रणालियों का सुधार, बीज उत्पादन के लिए समुदायों का समर्थन, कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग की योजनाएं शामिल हो सकती हैं। हमारे देश में तो बिगड़ते पर्यावरण ने कई बार भयानक हालात खड़े कर दिए हैं समुद्री तूफान से लेकर केदारनाथ हादसे ने यही साबित किया है कि अगर हम अभी भी सतर्क नहीं हुए तो हमारे लिए आने वाले समय में जिंदा रहना भी कठिन हो जाएगा पिछले दिनों तीर्थ स्थल जोशीमठ में दरारों के कारण पूरा गांव खाली कराने की नौबत आ गई थी और अभी भी संकट टला नहीं है ।