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एक सोनकर के हाथ से छूटेगा कमल

एक सोनकर के हाथ से छूटेगा कमल

‘वरिष्ठ पत्रकार राजेश राठौर’

एक सोनकर के हाथ से छूटेगा कमल

कांग्रेस जिन दिग्गजों मंत्रियों को मंत्रियों को चुनाव हराना चाहती है। उनमें से एक नाम तुलसीराम सिलावट का भी है। वैसे पहलवान अच्छी स्थिति में है। पिछली बार की जीत ने उनका हौसला भी बड़ा रखा है। गुड्डू परिवार की अदावत के चलते अब कांग्रेस इस कोशिश में है कि तुलसी पहलवान के सामने जिन दो सोनकर का राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है। उनमें से किसी एक को हाथ का पंजा थमा दिया जाए। वैसे दोनों सोनकर को भाजपा ने अच्छे पदों से नवाज रखा है। फिर भी दोनों सोनकर टिकट के लिए उतावले हैं। इनमें से कोई एक सोनकर कभी भी कांग्रेस में जा सकता है। बशर्ते कांग्रेस टिकट और पैसा देने की गारंटी दे, क्योंकि तुलसी पहलवान इस बार चुनाव में पैसा भी काफी खर्च करेंगे। इसलिए कांग्रेस के उम्मीदवार को भी पैसा काफी खर्च करना पड़ेगा।

मंत्री की नई मुसीबत

विधानसभा में जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियां लगना है। जो अभी तक नहीं लगी थी। यही बहाना बताकर एक पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने पार्टी छोड़ दी। अब उसी काम को भाजपा पूरा करने में लगी है। पूर्व मुख्यमंत्रियों की जो मूर्तियां लगना है। उसके लिए कौन सा फोटो तय करना है। जिसके आधार पर मूर्तियां बनना है। इसकी जवाबदारी वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा को दी है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्रियों की भी मूर्ति लगना है। इन सभी से बात करने का काम इतना आसान नहीं है। जितना माना जा रहा है। चुनाव का वक्त है। कब परिवार वाले फोटो तय करेंगे और कब मूर्तियां बनकर आ जाएगी। इसकी कोई गारंटी नहीं है। मंत्री सकलेचा यह काम मिलते ही कहने लगे कि का इस लफड़े में मुझे कहा फंसा दिया।

युवा मोर्चा अध्यक्ष से तो पार्षद ज्यादा ताकतवर है

भाजपा की सरकार होने के बाद भी पार्टी की सबसे मजबूत इकाई युवा मोर्चा का अध्यक्ष ऐसे नेता को बना रखा है। जिसके सामने मारपीट हो जाती है। खुद वैभव पवार के सामने घटनाक्रम पता चलने के बाद भी जो ना तो खुद के साथ न्याय कर पाए और ना ही पीटने और पिटवाने वाले के साथ न्याय कर पाए। जब यह मामला संगठन महामंत्री हितानंद के पास पहुंचा। तो बोले की ऐसा कैसा अध्यक्ष है कि जिसके सामने मारपीट हो गई। उसके बाद कार्यवाही भी एकतरफा हो गई। पूरे युवा मोर्चा का कबाड़ा कर रखा है। अब विद्यार्थी परिषद के नेताओं का प्रदेश अध्यक्ष पर दबाव अलग है। चुनाव के समय किसी को भी नाराज करना पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

सज्जन मौका नहीं चूकते

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के बीच लंबे समय से राजनीतिक कुश्ती चल रही है। दोनों एक दूसरे को निपटाने का मौका नहीं छोड़ते। दिग्विजय सिंह ने इंदौर की चार नंबर विधानसभा की सबसे कमजोर सीट से समाजसेवी अक्षय कांति बम को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया। तो कुछ दिन बाद ही सज्जन सिंह वर्मा, बिल्डर राजा मांद्धवानी को मैदान में ले आए। राजा भी साफा पहनते ही नाचने लगे हैं, और निकल पड़े हैं कि चार नंबर में सिंधी समाज कांग्रेस के साथ हो गया है। इसलिए भाजपा को वही हरा सकते हैं। चार नंबर में जैन समाज के वोट कम है। सिंधी समाज के वोट निर्णायक है। भाजपा के सिंधी नेता भी उनके साथ हैं। अब देखते हैं कि इस कठिन सीट से कांति लड़ेंगे या राजा वैसे कोई भी लड़े भाजपा को तो फायदा ही है।

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