दिल्ली : पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए मौसम पूर्वानुमान: वर्तमान स्थिति और भविष्य में संभावनाएं” विषय पर आज वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यशाला में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ एम राजीवन ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अपने 2021-26 योजना अवधि के दौरान ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों के लिए मौसम पूर्वानुमान को और सशक्त करेगा। डॉ राजीवन ने कहा कि भारत सरकार जीवाश्म ईंधन की खपत कम करने और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सभी संभावनाओं का पता लगाने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का यह सामाजिक दायित्व है कि वह देश में पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्रों में काम करने वाले उद्योग जगत की सटीक मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराकर मदद करें क्योंकि यह क्षेत्र मौसम पूर्वानुमान पर व्यापक पैमाने पर निर्भर हैं।भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र जैसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न संस्थान पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा क्षेत्रों के हितधारकों के लिए मौसम पूर्वानुमान जारी करते रहे हैं।
यह पूर्वानुमान दैनिक आधार पर उपयोगी रहे हैं। हालांकि हितधारकों की बढ़ती अपेक्षाओं और मांग के आधार पर यह अनुभव किया गया कि पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए जारी किए जा रहे वर्तमान पूर्वानुमान परंपरा को नया स्वरूप दिये जाने की आवश्यकता है। दैनिक पूर्वानुमान (24 घंटों के लिए) के अतिरिक्त विभिन्न हितधारकों ने 15-15 मिनट के अंतराल पर मौसम की स्थिति के साथ-साथ हवा, बादलों का प्रभाव और धरती पर पड़ने वाली शॉर्टवेव रेडिएशन का पूर्वानुमान प्राप्त करने की अपेक्षा जताई। साथ ही कुछ हफ्तों और यहाँ तक कि कुछ महीनों के पूर्वानुमान की भी उनकी अपेक्षाएँ सामने आई हैं।
आईआईटीएम, पुणे द्वारा आज आयोजित की गई कार्यशाला का उद्देश्य पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा क्षेत्र के हितधारकों तथा औद्योगिक जगत के सदस्यों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित ऐसी उभरती मांग का समाधान ढूँढना था।कार्यशाला को संबोधित करते हुए अपने आरंभिक उद्बोधन में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव ने यह भी कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को गंभीरता से सहभागिता करते हुए पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि “हमने उद्योग जगत की मदद करने के लिए पहले से ही अपना कार्य आरंभ कर दिया है और हम इसमें और सुधार चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से हम उपयोगी सुझाव प्राप्त करने की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि आज की इस कार्यशाला में विचार-विमर्श के उपरांत जो बात निकल कर सामने आई हैं, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय उस पर निर्णय करेगा और आईआईटीएम तथा एनसीएमआरडब्ल्यूएफ उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार पूर्वानुमान उपलब्ध कराने के लिए पूर्वानुमान का ढांचा क्रियान्वित करेंगे।
डॉ रजीवन ने पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में कठिनाइयों को रेखांकित करते हुए कहा कि पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए स्थानीय स्तर पर प्रति 15-20 मिनट में उच्च गुणवत्ता के मौसम पूर्वानुमान की आवश्यकता होती है।एनसीएमआरडब्ल्यूएफ़ प्रमुख डॉ ए के मित्रा ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने एनसेंबल पूर्वानुमान प्रणाली का क्रियान्वयन किया है, जो कि एनडब्ल्यूडी पूर्वानुमान की अनिश्चितताओं को दुरुस्त करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि एनसेंबल पूर्वानुमान प्रणाली बहुत उच्च रिजोल्यूशन की प्रणाली है जो ऊर्जा क्षेत्र के लिए विभिन्न स्तरों के पूर्वानुमान जारी करने में सहायक हो सकती है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ मोहापात्रा ने कहा कि मौसम और जलवायु संबंधी पूर्वानुमान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह ऊर्जा क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बेहतर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौसम में दिन प्रतिदिन आने वाले उतार-चढ़ाव ऊर्जा उत्पादन से लेकर वितरण और लोड अनुमान के लिए काफी अहम हैं।आईआईटीएम, पुणे के निदेशक प्रोफेसर रवि नंजूनदिया ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के वर्तमान परिदृश्य के बीच हमें अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे विकल्पों की तलाश करने की आवश्यकता है जो हरित विकल्प हो और पर्यावरण के अनुकूल हो।
सौर और पवन ऊर्जा ऐसे ही महत्वपूर्ण विकल्प हैं जिनका भारत में बड़े पैमाने पर उपयोग हो भी रहा है। हमारी सरकार ने 2022 तक नवीन और नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से 175 गीगावॉट की स्थापित क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सटीक मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जाये।