भोपाल। कांग्रेस की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन ने भोपाल में कहा कि अब विपक्ष को केवल सत्ताधारी दल से ही नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं से भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये संस्थाएं अब सत्ताधारी दलों के औजार बन चुकी हैं, जिनसे विपक्ष को भी जूझना पड़ रहा है।
मीनाक्षी नटराजन का बीजेपी सरकार पर हमला, वादे पूरे न करने का आरोप
कांग्रेस की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन ने भोपाल में पीसीसी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान बीजेपी सरकार पर तीखा हमला किया और वादे न निभाने का आरोप लगाया। नटराजन ने कहा कि आज देश का विपक्ष केवल सत्ताधारी दल से ही नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं से भी संघर्ष कर रहा है, जो अब सत्ताधारी दलों के औजार बन चुकी हैं। उन्होंने मनोज परमार आत्महत्या मामले को लेकर कहा कि कुछ बच्चे गुल्लक में पैसे इकट्ठा करते हैं और विपक्षी नेताओं को भारत जोड़ो यात्रा में देते हैं, जो बेहद दुखद है। नटराजन ने आरोप लगाया कि हाल के समय में स्वायत्तशासी संस्थाओं का दुरुपयोग बढ़ा है, जैसा कि सुसाइड नोट में भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं के जरिए विपक्षी नेताओं को धमकाया जाता है और कहा जाता है कि यदि वे एक दल ज्वाइन करें तो भी उन पर लगाई गई धाराएं कम नहीं होंगी। इन धमकियों ने कई सवाल खड़े किए हैं।
भारतीय राजनीति में पहली बार हुआ ऐसा टॉर्चर
नटराजन ने कहा कि जिस तरह एक राजनीतिक पार्टी के नेता के प्रति प्रेम और विश्वास के कारण टॉर्चर किया गया, वह भारतीय राजनीति के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है। सुसाइड नोट में जो बातें सामने आई हैं, वे टॉर्चर से जुड़ी हैं। नटराजन ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि जैसे राहुल गांधी ने हाथरस और निर्भया जैसे मामलों में सहयोग की भावना दिखाई, उसी तरह वे आष्टा की घटना पर भी ध्यान देंगे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी संसद के बाद आज शाम तक इस मामले में कोई निर्णय ले सकते हैं।
देश में बहस की परंपरा को नष्ट करने का प्रयास
नटराजन ने कहा कि देश में एक समृद्ध बहस की परंपरा रही है, जिसे अब नष्ट करने की कोशिशें की जा रही हैं, और यह प्रयास देश और राज्य दोनों स्तरों पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब संसद में संविधान पर चर्चा हो रही होती है, तब राज्य में सत्ताधारी दल स्वायत्त संस्थाओं का दुरुपयोग कर विपक्ष और आम लोगों की आवाज को दबाने का काम कर रहा है। नटराजन ने किसानों के लिए किए गए वादों का भी जिक्र किया, जैसे कि उनकी आय दोगुनी करने और गेहूं तथा धान के समर्थन मूल्य में वृद्धि, लेकिन इन वादों को पूरा नहीं किया गया।
इसके अलावा, उन्होंने शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा उठाते हुए बताया कि जबकि देश में औसत दर 32 है, मध्यप्रदेश में यह 48 है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अत्याचार के आंकड़े मानवाधिकार हनन से जुड़े हैं और आदिवासी उत्पीड़न की घटनाएं सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में हो रही हैं। इसके अलावा, “लाड़ली बहना योजना” में 3000 रुपये महीना देने का वादा किया गया था, लेकिन यह भी पूरा नहीं किया जा रहा है।