ज्योतिष में शुभ-अशुभ कामों को लेकर पंचक काल का खास तौर पर ध्यान रखा जाता है। ऐसे में इस दौरान कोई शुभ काम जैसे- विवाहित बेटी की विदाई, नए काम की शुरुआत, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं। बता दे, 28 जून से पंचक काल शुरू हो रहा है, जो कि 3 जुलाई तक रहेगा। तो चलिए जानते है क्या होता है पंचक काल और इस दौरान कौन से काम नहीं करने चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार, पंचक के दौरान मृत्यु संस्कार के नियमों का विशेष रूप से पालन किया जाता है। ऐसे में पांच दिनों तक पंचक रहने से विवाह के शुभ मुहूर्त पांच दिनों तक नहीं है। इसके बाद जुलाई महीने में भी केवल चार श्रेष्ठ महूर्त हैं, जिनमें फेरे लिए जा सकेंगे।
शास्त्रों के अनुसार, 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी पर देवगण विश्राम पर चले जाएंगे। बता दे, इस दिन से सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लग जाएगी। चार महीने तक विवाह समेत अन्य संस्कार नहीं किस जा सकेंगे। वहीं नवंबर महीने में देवउठनी एकादशी से फिर मुहूर्तों की शुरुआत होगी।
जानें क्या होता है पंचक काल-
पांच नक्षत्रों के मेल से निर्मित होने वाले योग को पंचक कहा जाता है। इसको लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि जिस समय चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर होता है, तो उस समय को पंचक माना जाता हैै। जो एक अशुभ योग व नक्षत्र कहलाता है। दरअसल, पंचक अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का एक योग होता है। पंचक का स्वामी ग्रह कुंभ और राशि मीन होती है। पंचक प्रत्येक महीने में एक बार अवश्य पड़ता है।
पूजा पाठ का फल पांच गुणा –
महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला के मुताबिक, पंचक को भले ही अशुभ काल माना जाता है। इस दौरान शुभ संस्कार नहीं किए जाते है। पंचक काल में पूजा-पाठ, हवन आदि करने से इसका फल पांच गुणा अधिक प्राप्त होता है। पूजा, पाठ पर पंचक का असर नहीं होता।
हर महीने इस तरह पड़ेगा पंचक काल
– जून माह – 28 जून से 3 जुलाई
– जुलाई माह – 25 जुलाई से 30 जुलाई
– अगस्त माह – 22 अगस्त से 26 अगस्त
– सितंबर माह – 18 सितंबर से 23 सितंबर
– अक्टूबर माह – 15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर
– नवंबर माह – 12 नवंबर से 16 नवंबर
– दिसंबर माह -10 दिसंबर से 14 दिसंबर
विवाह मुहूर्त –
जुलाई – 6, 7, 12, 16
नवंबर – 19, 20, 21, 26, 27, 28, 29 और 30
दिसंबर – 1, 2, 5, 7, 11, 12, 13