मांजा की डोर बनी मौत, इस मकर सक्रांति इंदौर में होगी कड़ी कार्यवाही

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मौत की डोर पर रोक को लेकर इंदौर में कोई तैयारी नही है। मकर सक्रांति के त्यौहार में अब गिनती के दिन बचे है लेकिन जिस अमले ओर अफ़सरो के जिम्मे इस जानलेवा डोर के बेचने पर रोक की जिम्मेदारी है, वे सब फिलहाल प्रवासी भारतीय सम्मेलन की तैयारी में दुबले हो रहे हैं। बात सम्मान, मान की है। जान का क्या है? कल जाती है तो आज चली जाए।

भले ही जान, जानलेवा मांजे से चली जाए। और जब जान इस मांजे से जाएगी, तब करेंगे सख्ती। जिम्मेदारो के इसी रवैये के कारण मौत की डोर का कारोबार करने वाले बेख़ौफ़ है। इलाके में ‘पुलिसिया बंदी’ ने उनके हौसले को और पंख दे दिए है। जनहित ओर प्राणहीत के मसले पर भी अगर शासन-प्रशासन का ऐसा ही ढुल मूल रवैया एक दो दिन रहा तो फिर कितनी भी सख्ती कर लो, इंदौर के आसमान पर चाइना मांजे के साथ ही मकर सक्रांति का पर्व मनना है। पंछी, परिंदों ओर इंसानों का चोटिल होना भी तय है। प्लास्टिक के धागे से गर्दन भी कट जाए तो आपकी बला से।

गुजरात सेंटर, एमपी में भी है फेक्ट्री

मौत की डोर बगल के गुजरात से जुड़ी हुई है। जी हां नायलोन मांजा का गढ़ गुजरात है और वहां से ही इंदौर आता है। इन्दौर सेंटर है। यहां इस काम के लिए बड़े व्यापारी है जो यहां से मौत के इस मांजे की डिलीवरी मालवा निमाड़ अंचल के गांव कस्बों और शहरों में करते है। आजकल बम्बई बाजार और सदर बाजार भी इसका गढ़ बन गए है। काछी मोहल्ला, सिख मोहल्ला, हरसिद्धि, रानीपुरा, मल्हारगंज और छावनी खेरची कारोबार के सेंटर है। इस गोरखधंधे से जुड़े सूत्र बताते है कि इलाके के जिम्मेदारो को नियमित बंदी के कारण हर साल करोबार बेखौफ करते है। त्यौहार के एक दो दिन पहले खानापूर्ति की सख्ती होती है। उसकी जानकारी भी समय रहते मिल जाती है। लिहाजा अब इन्दौर ही चाइना माँजा का मुख्य गढ़ हो चला है। क्योंकि उज्जैन में तो जिला प्रशासन ने धारा 188 लगाकर चीन की इस मौत की डोर को बेचने पर रोक लगा दी है। बावजूद इसके कोई बेचता पाया गया तो दुकान के साथ सम्बंधित व्यापारी के मकान भी तोड़ दिया जाएगा। बीते साल उज्जैन में इस जानलेवा मांजे ने एक युवती की जान ले ली थी। बताते है कि बेतहाशा मुनाफे के चलते नायलोन धागे की फैक्ट्री एमपी में भी शुरू हो गई है।