मांजा नही मौत की डोर, थाने पर 70 हजार, इंदौर में बेख़ौफ़ मौत का कारोबार

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नितिनमोहन शर्मा

हम सबने मिलकर थाने पर 70 हजार रुपये दिए है तो माल नही बेचेंगे तो क्या करेंगे? उज्जैन की बात अलग है। ये इन्दौर है। यहां सब चलता है। हम कोई आज से थोड़े ये सब बेच रहे हैं। बीते साल भी खूब हल्ला मचाया लेकिन क्या हुआ? माल तो चाइना का ही बिका न। इस बार भी देख लो। सब तरफ ये ही डोर है। ग्राहक भी इसी की डिमांड करते है। जब कार्रवाई होगी तब देखा जाएगा। अभी तो धंधा करने दो।

ये बेख़ौफ़ स्वीकारोक्ति उन लोगो की है जो प्रतिबंधित चाइना मांजा के साथ मौत का कारोबार कर रहे हैं। ख़ुलासा फर्स्ट ने उन स्थानों की पड़ताल की जहा ये जानलेवा डोर धड़ल्ले से बिक रही है। सामान्य ग्राहक के रूप में जब ये कहा कि इस बार तो बहुत छप रहा है मांजे के खिलाफ तो मौत के कारोबारी का कहना था कि कुछ नही होगा। हुआ भी तो महज खानापूर्ति होगी। हमने पहले ही पैसे दे दिए है इकट्ठा कर के। वैसे भी इस बार किसी का ध्यान ही नही इस तरफ। बाहर से लोग आ रहे है न। सब उसमे लगे है।

ख़ुलासा ने मैदानी हकीकत जानी तो कुछ बड़े नाम सामने आए। कुछ दुकानें भी चिन्हित हुई है। दो तीन बड़े गोडाऊन का भी पता चला है। खबर के प्रकाशन के बाद ये तय है कि मौत के कारोबारी, मौत के जखीरे को इधर उधर कर दे। उजागर हुए नाम भी भूमिगत हो सकते है। सिख मोहल्ला, काछी मोहल्ला ओर मेवाती मोहल्ला क्षेत्र में जावेद और अरशद का नाम प्रमुख है।

यहां गोली नाम का शख्स भी कारोबारी है। इन्दौर में ये इलाका जानलेवा डोर का गढ़ है। मेवाती मोहल्ले की मस्जिद के पास ही गोडाऊन भी है। खातीपुरा उतार की पुलिस चौकी से लगकर बनी दूकानों में भी स्टॉक जमा है। यहां मीना बटन प्रमुख है।दीपक सिंधी का नाम भी सामने आया है। ये वो ही दुकानें है जहा त्यौहारी सीजन का धंधा होता है। जहा रंग पिचकारी, राखी, पटाखे बिकते है। बगल में ही पुलिस चौकी है जहां 24 घण्टे पुलिस की तैनाती है।

रानीपुरा झंडा चोक वाले इलाके में शकील और आसिम भाई का नाम सामने आया है। इन लोगो ने यहां गोडाऊन भी बना लिया है। एक गोडाऊन मटन की दुकान के पास भी है। यहां भी कारोबार पुलिस के बगल में ही हो रहा है। यहां भी स्थाई पुलिस चौकी है जहां 24 घण्टे अमला तैनात रहता है। लेकिन इस चौकी के ठीक पीछे से ही इस मौत के मांजे का कारोबार चल रहा है।

हरसिद्धि पर मनोज पतंग के यहां ये जानलेवा मांजा बड़ी मात्रा में है और रोज बिक रहा है। यहां एक और ठिया था लेकिन इस बार उसने इस मौत के मांजे का माल नही खरीदा। मल्हारगंज में तीन चार दुकानें है लेकिन कोई गोडाऊन नही है। यहां से भी चोरी छुपे जानलेवा मांजा बिक रहा है। लेकिन ख़ुलासा से दुकानदारों ने स्पष्ट कहा कि आप स्वयम अंदर आकर देख लो। एक दुकानदार ने तो दांवा किया कि हमने इस बार सवा लाख रुपये का देशी बरेली मांजा का स्टॉक जमा किया है लेकिन चीन का माल बिकना बन्द नही हुआ तो नुकसान तय है।