“शब्दाहुति” का हुआ विमोचन, मनीष वैद्य ने कहा- वैचारिक समृद्धि देती हैं किताबें और पत्रिकाएं

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इंदौर। साहित्यिक पत्रिकाओं  का योगदान सिर्फ इतना भर नहीं होता कि वह छपकर पाठक तक पहुंचती हैं। उनका योगदान नये पाठकों और लेखकों को बनाने में भी होता है। यह पत्रिकाएं और किताबें हमें वैचारिक रूप से समृद्ध करती हैं, वैचारिक पोषण के लिए पत्रिकाओं और किताबों का पढ़ा जाना जरूरी है।

यह बात वरिष्ठ कहानीकार मनीष वैद्य ने कही। वह रविवार को यहां प्रीतमलाल दुआ सभागृह में साहित्यिक पत्रिका शब्दाहुति के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अच्छा साहित्य लिखने वाला खूब अच्छा पाठक भी होता है। दस पेज लिखने वाले को पहले दस हजार शब्द पढ़ना चाहिए। आजादी के आंदोलन में साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं की बड़ी भूमिका की याद दिलाते हुए श्री वैद्य ने कहा कि तब समाज को जागृति का संदेश पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से ही दिया गया था।

इस मौके पर वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी, वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा , वामा साहित्य मंच, इंदौर की अध्यक्ष अमरवीर चड्ढा और शब्दाहुति पत्रिका की उप-संपादक अदितिसिंह भदौरिया  ने भी विचार रखे। पत्रिका के पहले अंक में इंदौर के जिन रचनाकारों की रचनाओं का प्रकाशन हुआ है उन्हें सम्मानित किया गया।

वरिष्ठ कवि नरेन्द्र मांडलिक के आतिथ्य में काव्य-सत्र का आयोजन भी विमोचन समारोह में हुआ। वरिष्ठ गीतकार कैलाश सिंघल, डाॅ. अंजना मिश्र, डाॅ. प्रतिभा जैन, रागिनी शर्मा ,वसुमति चतुर्वेदी, श्रुति जोशी , शिवानी मिहिर व्यास, आदि ने रचना पाठ किया। खुद श्री मांडलिक ने मालवी कविता सुना खूब तालियां बटोरीं। स्वागत भाषण श्रीमती सुषमा दुबे ने दिया। अतिथियों का स्वागत विजयसिंह चौहान, अमित सिंह भदौरिया, अर्चना मंडलोई ने, संचालन सुषमा व्यास राजनिधि ने किया।

इस मौके पर साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश के निदेशक डाॅ. विकास दवे, वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती संध्या रायचौधरी, श्रीमती प्रियंका कौशल (रायपुर),  पुष्पेंद्र वैद्य, वरिष्ठ लेखिका पदमा राजेन्द्र, कविता वर्मा, श्री सिंघई सुभाष जैन, राममूरत राही, संतोष सुपेकर, डाॅ. दीपा मनीष व्यास, डाॅ  ज्योति सिंह, माधुरी व्यास नवपमा, निधि जैन, नमिता दुबे, सुरभि भावसार सहित अनेक साहित्य प्रेमी मौजूद थे।