विपरीत परिस्थितियों में संतुलन बनाए रखना ही आर्ट ऑफ लाइफ है- आचार्य विजय कुलबोधि

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Indore News : मनुष्य जीवन में आने वाले दुखों में तीन परिस्थितियां काम करती हैं। पहली परिस्थितिजन्य, दूसरी मन: स्थितिजन्य और तीसरी कर्म स्थितिजन्य होती हैं। विपरीत परिस्थितियां तो जीवन में आती हैं वह तो पार्ट ऑफ लाइफ है लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलन बनाए रखना आर्ट ऑफ लाइफ कहलाता है।

मनुष्य को काल्पनिक दु:ख ज्यादा परेशान करता है। वास्तविक रूप से काल्पनिक रूप ज्यादा खोखला होता है। उक्त विचार गुरूवार को गुमाश्ता नगर स्थित श्वेताम्बर जैन जिनालय में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचनों की अमृत श्रृंखला के प्रथम दिन दिन आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीरश्वरजी मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

आचार्यश्री ने आगे अपने प्रवचनों में कहा कि परिस्थिति नहीं, मन: स्थिति नहीं लेकिन हमारे कर्मों कि स्थिति ही हमें दुखी करती है। कभी शर्म, कभी भ्रम तो कभी कभी मनुष्य को उसके कर्म अड़ते हैं।जीवन में दुख आए तो किसी और के पास जाने के बजाय परमात्मा के पास जाना वही तुम्हारे दु:ख दूर करेंगे।

श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि गुमाश्ता नगर में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा 1 जून तक प्रतिदिन सुबह 9.15 से 10.15 तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। गुरूवार को प्रवचन के दौरान गुमाश्ता नगर श्रीसंघ से सुरेंद्र कुमार, भूपेंद्र कुमार, अभय कटारिया सहित जिनालय ट्रस्ट के पदाधिकारी व श्रावक-श्राविका मौजूद थे।

विकास ही बना विनाश का कारण 

आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी ने कहा कि हाल में भीषण गर्मी कि वजह से मरने वाले जैन साधु संतों के प्रति दु:ख व्यक्त किया और रोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी सरकार विश्व गुरु का सपना देख रही है और विकास के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की जा रही है। विकास कब-कब ग्लोबल वार्मिग में बदल जाएगा पता ही नहीं चलेगा। साल दर साल गर्मी में पारा बढ़ता ही जा रहा है और विकास विनाश में बदलता जा रहा है।