महाराष्ट्र (Maharashtra) में इस साल जन्माष्टमी के मौके पर दही हांडी का कार्यक्रम नहीं किया जाएगा। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के मंडलों से अपील की है कि मानवीयता के आधार पर वे लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और कुछ और वक्त के लिए त्योहारी कार्यक्रम से दूर ही रहें। वहीँ मंडल अधिकारी के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते लोग अभी भी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र में मंडल और गोविंदा समूहों ने राज्य सरकार से गुजारिश की थी कि छोटे पैमाने पर ही सही दही हांडी कार्यक्रम के लिए उन्हें अनुमति दें, क्योंकि प्रैक्टिस सेशन पहले से ही आरंभ हो चुके हैं। इससे पहले भी राज्य के मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ मीटिंग में दही हांडी को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने बताया था कि वे लोग दही हांडी के लिए तीन से चार स्तरीय पिरामिड ही बनाएंगे और पूर्ण टीकाकरण करा चुके लोग ही कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
इसके अलावा मुंबई स्थित अखबार मिड डे ने कुछ सदस्यों के हवाले से लिखा है कि अगर गणेश उत्सव को छोटे पैमाने पर आयोजित किया जा सकता है, तो दही हांडी कार्यक्रम के लिए सरकार को परमिशन देनी चाहिए। वहीं बीजेपी विधायक राम कदम का कहना है कि हमेशा की तरह इस साल भी हम दही हांडी का कार्यक्रम आयोजित करेंगे। हालांकि कार्यक्रम में कितने लोग शामिल होंगे, ये हम सरकार द्वारा दी गई छूट के आधार पर ही फैसला करेंगे।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते महाराष्ट्र में इस साल भी गणेशोत्सव का त्योहार लगातार दूसरे साल कड़े प्रतिबंधों के दायरे में मनाया जाएगा। राज्य सरकार ने कार्यक्रम को लेकर गाइडलाइन जारी की है, इसमें गणेश प्रतिमा की ऊंचाई के लिए भी मानक तय किया गया है।
वहीं राज्य सरकार ने अपनी गाइडलाइन में कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर लगाई जाने वाली प्रतिमाओं की ऊंचाई चार फीट से ज्यादा नहीं होगी। साथ ही घर पर दो फीट से ज्यादा ऊंचाई की प्रतिमा नहीं स्थापित की जाएगी। आरती के लिए भीड़ लगाने की अनुमति नहीं होगी. इसके साथ ही राज्य सरकार ने जुलूस निकालने की भी परमिशन नहीं दी है. दस दिवसीय गणपति फेस्टिवल 10 सितंबर से शुरू होगा।