महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय संस्कृति, कृषि और स्वास्थ्य देखभाल में स्वदेशी गाय के महत्व को देखते हुए इसे औपचारिक रूप से ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा प्रदान किया है। इस निर्णय की घोषणा करते हुए सरकार ने बताया कि स्वदेशी गाय का भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ही एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके धार्मिक महत्व के अलावा, गाय के कई चिकित्सीय और कृषि लाभ भी हैं, जो इसके मूल्य को और बढ़ाते हैं।
मुख्यमंत्री @mieknathshinde यांच्या अध्यक्षतेखाली आज मंत्रालयात झालेल्या राज्य मंत्रिमंडळाच्या बैठकीत विविध महत्त्वाचे निर्णय घेण्यात आले. उपमुख्यमंत्री @Dev_Fadnavis , उपमुख्यमंत्री @AjitPawarSpeaks यांच्यासह मंत्रिमंडळातील सदस्य उपस्थित होते.
मंत्रिमंडळ निर्णय खालीलप्रमाणे :… pic.twitter.com/94u11pRoSL
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) September 30, 2024
गाय के दूध का पोषण मूल्य
गाय का दूध अपने उच्च पोषण मूल्य के कारण मानव आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसके सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, जो इसे भारतीय आहार का अनिवार्य तत्व बनाते हैं।
देशी नस्लों की स्थिति
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में देवरी और ललकानारी जैसी गायों के अलावा, उत्तरी महाराष्ट्र में डांगी और शवदाभ जैसी विभिन्न देशी नस्लें पाई जाती हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में देशी गायों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है, जिससे सरकार और किसानों के बीच चिंता उत्पन्न हुई है।
किसानों को प्रोत्साहन
सरकार को उम्मीद है कि इस नए दर्जे के जरिए किसानों को स्वदेशी गायों को पालने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे न केवल देशी गायों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि भारतीय संस्कृति और कृषि में उनके योगदान को भी मान्यता मिलेगी।