नई दिल्ली: देश में निष्पक्ष चुनाव करने वाले चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगा है। चुनाव आयोग पर आरोप है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान आयोग के सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स की देखरेख करने का जिम्मा भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल और नेताओं को सौंपा गया था।
चुनाव आयोग का जिम्मा राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया हैंडल और पेज पर पैनी निगाह रखना था लेकिन खुद आयोग के सोशल मीडिया हैंडल, वेबसाइट, पेज और इनमें दर्ज डेटा एक खास राजनीतिक दल के कारोबारी पदाधिकारी के पास गिरवी रखे थे। आयोग की आंखों में उंगुली डालकर दिखाए जाने के बाद मामले की जांच के लिए हलचल तेज़ हो गई है।
अपने स्वतंत्र और निष्पक्ष होने के दावों पर आंच, सवाल और आरोपों पर अब चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के सीईओ से जवाब तलब किया है। आयोग की प्रवक्ता से जब इस बारे में और उनके ट्वीट पर पूछा गया तो उन्होंने भी इसकी तस्दीक की कि सीईओ से पूरी जानकारी मिलने के बाद बताया जाएगा।
हालांकि चौंकाने वाला खुलासा है कि सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग के जन जागरण अभियान और पूरे चुनावी मिशन पर निगरानी का काम जिस कंपनी और शख्स को दिया गया वो तो बीजेपी के युवा विंग बीजेवाईएम यानी भारतीय जनता युवा मोर्चा के आईटी सेल का संयोजक भी रहा है.। नाम है देवांग दवे और उनकी कंपनी है सोशल सेंट्रल मीडिया सॉल्युशन एलएलपी।
चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया हैंडल और पेज पर भी वही पता लिखा था जो उस कंपनी और शख्स का था। सोशल सेंट्रल मीडिया के क्लाइंट लिस्ट में बीजेपी और खुद महाराष्ट्र का मुख्य निर्वाचन अधिकारी का दफ्तर भी शामिल है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर को यह भी साफ करना होगा कि उनकी वेबसाइट, मीडिया हैंडल, पेज, उन पर मौजूद विज्ञापन पर पता 202, प्रेस मैन हाउस, नेहरू रोड,विले पार्ले ईस्ट, मुंबई. यानी उसी कंपनी वाला क्यों है जो बीजेपी की भी सोशल नेटवर्किंग देखती है और आयोग की भी!