महाकालेश्वर मंदिर: शिव नवरात्र महोत्सव का दूसरा दिन, आज होगा बाबा का शेषनाग श्रृंगार

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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। कल यानी बुधवार से शिव नवरात्रि पर्व का शुभारंभ हो गया है। ऐसे में नौ दिनों में बाबा को विभिन्न रूपों में सजाया जाएगा। रोज बाबा का नये स्वरूप में श्रृंगार किया जाता है। वहीं अंतिम दिन महाशिवरात्रि को बाबा महाकाल को दूल्हे के रूप में दर्शन देते हैं। माता पार्वती के साथ उनके विवाह को देखने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आज नव रात्रि का दूसरा दिन है आज बाबा का शेषनाग श्रृंगार किया जाएगा।

आपको बता दे, शिवरात्रि पर्व के 9 दिन पूर्व शुरू होने वाला शिव नवरात्रि पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाई जाती है। ऐसे में पहले दिन माता पार्वती और बाबा का चंदन, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंड माल छत्र आदि से विशेष एवं अद्भुत श्रृंगार किया गया। जैसा की आप सभी जानते है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मात्र उज्जैन महाकालेश्वर ही ऐसा स्थान है जहां शिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि मनाने की परम्परा है। साथ ही बाबा की नौ दिनों तक अलग अलग श्रृंगार किया जाता है। साथ ही भगवान् की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।

जानकारी के अनुसार, नवरात्रि में पहले दिन कोटितीर्थ कुण्ड स्थित कोटेश्वर महादेव पर शिवपंचमी का पूजन किया गया। जिसके बाद एक घंटे तक बाबा का अभिषेक किया गया। हर साल की तरह इस बार भी 11 ब्राह्मणों और दो सहायक पुजारियों को एक-एक सोला और वरूणी दी गई। बता दे, कोटेश्वर महादेव के पूजन आरती के बाद महाकालेश्वर राजा का पूजन अभिषेक और 11 ब्राह्मणों ने एकादश एकादशिनी रूद्राभिषेक किया गया। फिर भोग आरती की गई। उसके बाद देर शाम भगवान महाकाल का संध्या पूजन कर चंदन, भांग का श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्ड माल, छत्र आदि से बाबा को अद्भुत रूप दिया गया।

हरिकीर्तन

बता दे, कल देर शाम बाबा के आंगन में हरिकीर्तन किया गया। जिसका भरपूर आनंद श्रद्धलुओं ने उठाया। दरअसल, ये हरिकीर्तन 10 दिन तक लगातर चलेगा। हरिकीर्तन का लाभ इंदौर के कानडकर परिवार की ओर से 1990 से शिवनवरात्रि में लगातार शाम 4 बजे से 6 बजे तक किया जाता है।

9 दिन 9 रूप –

4 मार्च को शेषनाग श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
5 मार्च को घटाटोप श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
6 मार्च को छबीना श्रृंगार-कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
7 मार्च को होल्कर श्रृंगार- कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
8 मार्च को मनमहेश श्रृंगार-कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
9 मार्च को उमा महेश श्रृंगार- कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
10 मार्च को शिवतांडव श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
11 मार्च महाशिवरात्रि पर सतत जलधारा रहेगी।
12 मार्च सप्तमधान श्रृंगार (सेहरा दर्शन), कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र।
13 मार्च को चंद्र दर्शन, पंचानन दर्शन, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र आदि धारण कराए जाएंगे।