महाकुंभ मेला.. सिर्फ सांस्कृतिक या आध्यात्मिक महत्व नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी है खास, 4 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च कर सकते है श्रद्धालु

srashti
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला, जिसे विश्व का सबसे विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है, न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी अभूतपूर्व है। 2024 में होने वाले महाकुंभ से व्यापार में 4 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार होने का अनुमान है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर लाभ होगा।

40 करोड़ श्रद्धालुओं का आगमन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमानों के अनुसार, 2024 के महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जिनमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के आगंतुक शामिल हैं। यदि हर श्रद्धालु औसतन 5,000 से 10,000 रुपये खर्च करता है, तो कुल खर्च 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसमें आवास, परिवहन, खानपान, हस्तशिल्प और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में अनियोजित अतिरिक्त गतिविधियों का निर्माण करेगा।

GDP और कर संग्रह में होगा जबरदस्त उछाल

महाकुंभ मेला भारतीय जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि करेगा। भारत की जीडीपी 2023-24 में 295.36 लाख करोड़ रुपये थी, और 2024-25 में यह बढ़कर 324.11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इसके अलावा, महाकुंभ से सरकारी राजस्व में भी भारी वृद्धि होने की उम्मीद है। जीएसटी, आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष करों से 1 लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व प्राप्त हो सकता है, और अकेले जीएसटी संग्रह 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

राज्य सरकार द्वारा किया गया बड़ा निवेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के आयोजन के लिए 16,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। यह निवेश न केवल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक लाभ भी प्रदान करेगा। यह निवेश उच्च रिटर्न देने के साथ-साथ महाकुंभ के आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि का संगम

महाकुंभ मेला भारत की अद्वितीय आर्थिक संरचना को उजागर करता है, जहां संस्कृति और वाणिज्य एक साथ मिलकर विकास की दिशा में काम करते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से, धार्मिक मेलों और आयोजनों ने व्यापार, पर्यटन और सामाजिक संबंधों को बढ़ावा दिया है। महाकुंभ मेला न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी एक मजबूत आधार बनता है। यह आयोजन भारतीय समाज और संस्कृति के अद्वितीय पहलुओं को दुनिया भर में प्रस्तुत करता है।