Madhya Pradesh: स्वभाषा के विकास से विश्व में अनुसंधान के क्षेत्र में भारत बहुत आगे जायेगा- गृह मंत्री अमित शाह

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इंदौर। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि स्वभाषा के विकास एवं उपयोग से भारत अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में बहुत आगे जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक मंचों पर हिन्दी में बोलते हैं। शिक्षा नीति में प्राथमिक, तकनीकी और मेडिकल एजुकेशन में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। गृह मंत्री शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में प्रारंभ कर प्रधानमंत्री मोदी के इस संकल्प को पूरा किया है। इस कार्य के लिये मुख्यमंत्री चौहान, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग सहित पूरी टीम और प्रदेश की जनता बधाई के पात्र हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लाल परेड ग्राउंड पर रिमोट का बटन दबा कर हिन्दी भाषा में एबीबीएस प्रथम वर्ष की पुस्तकों एवं हिंदी की प्रतिस्थापना के नवीन प्रकल्प का शुभारंभ किया। उन्होंने मेडिकल बायोकेमेस्ट्री, मेडिकल फिजियोलॉजी तथा एनाटॉमी की हिन्दी पुस्तकों का विमोचन किया। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर भगवान धनवंतरी और माँ सरस्वती के चित्रों पर माल्यार्पण किया। मुख्यमंत्री ने अंग वस्त्र पहना कर केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह का स्वागत किया और उन्हें स्मृति-चिन्ह के रूप में माँ सरस्वती की प्रतिमा भेंट की।

केन्द्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि आज का दिन शिक्षा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जायेगा। हिंदी भाषा में मेडिकल शिक्षा का शुभारंभ, शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्निर्माण का दिन है। इसके लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री चौहान बधाई के पात्र हैं। मध्यप्रदेश में 6 माह बाद इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक की शिक्षा भी हिंदी में प्रारंभ की जायेगी। साथ ही हिन्दी भाषा में अनुसंधान की व्यवस्था भी की जायेगी।

अंग्रेजों ने 19वीं शताब्दी में वेल्थ ड्रेन किया

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बच्चे की सोचने की प्रक्रिया उसकी मातृभाषा में होती है। मातृभाषा की बात दिल तक जाती है जबकि अन्य भाषा की बात दिमाग तक। सोचने के साथ ही संशोधन, अनुसंधान, तर्क, विश्लेषण एवं निर्णय पर पहुँचने की प्रक्रिया मातृभाषा में होती है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं अनुसंधान मातृभाषा में होने से भारत के विद्यार्थियों का डंका पूरे विश्व में बजेगा। अंग्रेजों ने 19वीं शताब्दी में वेल्थ ड्रेन किया, 21वीं शताब्दी में वे ब्रेन ड्रेन थ्योरी लेकर आए। प्रधानमंत्री श्री मोदी अब इस थ्योरी को ब्रेन गेन की थ्योरी में बदल रहे हैं। मातृ भाषा में अध्ययन, विद्यार्थियों के चिंतन, तर्क एवं अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाएगा। अपनी भाषा में पढ़ेंगे तभी विद्यार्थी देश की सच्ची सेवा कर पायेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज भारत में जेईई, एईईटी, यूजीसी की परीक्षाएँ 12 भाषाओं में देने की व्यवस्था की गई है। सीयूईटी की परीक्षा 13 भाषाओं में और 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की परीक्षा भारतीय भाषाओं में देने के लिये कार्य प्रारंभ कर दिया है। सांकेतिक भाषा का मानकीकरण किया जा रहा है। हिंदी में पढ़ाई से विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता बढ़ेगी और भाषाई लघु ग्रंथि (इन्फीरियरिटी कॉम्पलेक्स) से मुक्त होंगे। उन्होंने कहा कि भाषा और बौद्धिक क्षमता का संबंध नहीं है। भाषा अभिव्यक्ति का साधन है। मातृभाषा में शिक्षा से बौद्धिक क्षमता निखरती है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में भारत में मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी, जो आज बढ़ कर 596 हो गई है। वही मेडिकल सीट्स की संख्या 51 हजार से बढ़ कर 89 हजार हो गई है। आईटीआई 16 हजार से बढ़ कर 23 हजार, आईआईएम 13 हजार से बढ़ कर 20 हजार, ट्रिपल आईआईटी सीट 9 हजार से बढ़ कर 25 हजार और कुल विश्वविद्यालय 723 से बढ़ कर 1043 हो गये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश को तकनीकी और मेडिकल की शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध कराने का संकल्प लेकर बड़ा कार्य किया है। देश में 8 भाषाओं में इन विषयों की पुस्तकों का अनुवाद आरंभ हो चुका है। शिक्षा के साथ-साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग क्षेत्र में मातृभाषा में शोध और विकास को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में त्रिभाषा व्यवस्था का सफल क्रियान्वयन हुआ है। मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था देश में समता की क्रांति का पथ प्रशस्त करेगी।

आज अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति का दिन- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह एक नया सवेरा लेकर आये हैं। मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि विषयों की पढ़ाई हिंदी में होना शिक्षा जगत में नया प्रकाश होगा। यह अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति का दिन है। यह कार्य आजादी के बाद ही हो जाना था, जो अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहा है।

चौहान ने कहा कि हमारे बहुत से विद्यार्थी पढ़ाई करने मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज में पहुँच तो जाते थे, पर अंग्रेजी भाषा के कारण वे ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाते थे। कुछ लोग तो पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे। हमारे बहुत से पिछड़े, दलित, गरीब विद्यार्थी भाषा को लेकर हीन भावना से ग्रस्त हो जाते थे। अब वे हिंदी भाषा में पढ़ाई कर अपनी क्षमता का पूरा विकास कर सकेंगे।

अंग्रेजी भाषा की गुलामी से मिली है मुक्ति

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के मानस को बदल दिया है। अंग्रेजी भाषा की गुलामी से मुक्ति मिली है। अब विद्यार्थी हिंदी और मातृ भाषाओं में शिक्षा ले सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में मेडिकल की पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि भाषा कठिन न हो जाए। तकनीकी शब्दों को अंग्रेजी में ही रखा गया है। भाषा को व्यवहारिक बनाया गया है। जो बच्चे हिंदी में पढ़ाई करेंगे, उनकी मेरिट लिस्ट भी अलग बनाई जायेगी।

आईआईटी और आईआईएम की पढ़ाई भी अब हिंदी में

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि अब डॉक्टर हिन्दी में पर्चे लिख सकेंगे। वे पर्चे पर आरएक्स के स्थान पर श्रीहरि लिख सकते हैं। यह एक नये युग की शुरूआत है। आज का दिन प्रदेश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा। प्रदेश में आगामी 6 माह में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक की पढ़ाई भी हिंदी में प्रारंभ होगी। आईआईटी और आईआईएम की पढ़ाई भी हिंदी में करवाएँगे।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ की है। आजादी के बाद के 75 वर्षों में भारत में जो नहीं हुआ वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा है। लॉर्ड मेकाले ने अपनी शिक्षा नीति में जिस मानसिक गुलामी की नीति अपनाई थी, उसका अब अंत हो रहा है। नई शिक्षा नीति से भारतीय भाषाओं में सभी विषयों की पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्यमंत्री श्री चौहान बधाई के पात्र हैं।

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राज्य स्तरीय इस कार्यक्रम में प्रदेश के सभी जिले, सभी चिकित्सा महाविद्यालय तथा शिक्षण संस्थाएँ वर्चुअली सम्मिलित हुईं। मेडिकल में हिन्दी पाठ्यक्रम के विकासक्रम पर लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनाराण जटिया, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार, सासंद वी.डी. शर्मा, महापौर मालती राय, डॉ. रमाकांत देशपांडे, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डॉ. अशोक खंडेलवाल सहित विधायक, जन-प्रतिनिधि, अधिकारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं नागरिक उपस्थित थे।